भीड़ खड़ी है जमाने भर की,
फिर भी अकेला हूँl
कुछ भी अच्छा नहीं लगता,
मैं दुनिया से जुदा हूँ।
हंसना मानो भूल ही गया,
हुआ भीतर तक झकझोरl
तन्हाई के मौसम में बेखबर हुआ,
भाव-भावना भावविभोर।
चाँद की चांदनी मेरे तन्हा दिल को,
सता जाती हैl
ये पगली पवन तो तेरे आने का,
अहसास दिला जाती है।
तुम पास होती तो हम ये करते,
वो करते बस यही सोच रहा हूँl
तेरी जुदाई में ये तन्हा मौसम,
एक क्षण भी वर्ष जैसा लग रहा है।
तन्हा खड़ा हूँ प्रिये,
इस दुनिया की भीड़ में|
वो लम्हा, क्षण कब आएगा,
तेरे ही इंतज़ार में ||
परिचय : एल.आर. सेजू थोब राजस्थान की तहसील ओसिया(जिला जोधपुर) में रहते हैं।आपको हिन्दी लेखन का शौक है। अधिकतर लेख लिखते हैं।