मुझे मुझसे मिलने दो,
खुद से उलझकर
फ़िर सुलझने दो,
कोई रोक नहीं पाएगा
जब भरुंगी लंबी उड़ान,
खुद का सहारा बनकर
नए पंख लगने दो,
ये जो काले बादल
घुमड़-घुमड़ करके आ गए,
इनके पीछे छुपा
आसमानी एक जहां,
मुझे बुलाता है नूतन
तुम हो यहीं हो,
यहीं-कहीं,चारों ओर
मिलो तो खुद से,
ढूँढो अपने-आपको
बिखरी हुई-सी घूमती तुम,
खुद को समेटो जराl
#जयति जैन (नूतन)
परिचय: जयति जैन (नूतन) की जन्मतिथि-१ जनवरी १९९२ तथा जन्म स्थान-रानीपुर(झांसी-उ.प्र.) हैl आपकी शिक्षा-डी.फार्मा,बी.फार्मा और एम.फार्मा है,इसलिए फार्मासिस्ट का कार्यक्षेत्र हैl साथ ही लेखन में भी सक्रिय हैंl उत्तर प्रदेशके रानीपुर(झांसी) में ही आपका निवास हैl लेख,कविता,दोहे एवं कहानी लिखती हैं तो ब्लॉग पर भी बात रखती हैंl सामाज़िक मुद्दों पर दैनिक-साप्ताहिक अखबारों के साथ ही ई-वेबसाइट पर भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl सम्मान के रुप में आपको रचनाकार प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत `श्रेष्ठ नवोदित रचनाकार` से समानित किया गया हैl अपनी बेबाकी व स्वतंत्र लेखन(३०० से ज्यादा प्रकाशन)को ही आप उपलब्धि मानती हैंl लेखन का उद्देश्य-समाज में सकारात्मक बदलाव लाना हैl