हर घर जब आलोकित होगा,
गाँव-गाँव जब विकसित होगा
तब दीवाली आएगी।
हर बच्चा जब शिक्षित होगा,
हर किसान मन प्रमुदित होगा
तब दीवाली आएगी।
हर आंगन जब खीर पकेगी,
भ्रष्टाचार की लूट रुकेगी
तब दीवाली आएगी।
खुश होकर तिरंगा लहराएगा,
आतंकवाद से मुक्त फहराएगा
तब दीवाली आएगी।
निश्चिंत हो सैनिक सोएंगे,
पस्त हौसलें दुश्मन होंगे
तब दीवाली आएगी।
घर-घर आंगन दीप जलेंगे,
आंगन में गोवंश पलेंगे
तब दीवाली आएगी।
गंगा नदिया निर्मल होगी,
मुक्त प्रदूषण धरती होगी
तब दीवाली आएगी।
हर पेट को रोटी होगी,
सिर पर छत की चोटी होगी
तब दीवाली आएगी॥
#सुशीला जोशी
परिचय: नगरीय पब्लिक स्कूल में प्रशासनिक नौकरी करने वाली सुशीला जोशी का जन्म १९४१ में हुआ है। हिन्दी-अंग्रेजी में एमए के साथ ही आपने बीएड भी किया है। आप संगीत प्रभाकर (गायन, तबला, सहित सितार व कथक( प्रयाग संगीत समिति-इलाहाबाद) में भी निपुण हैं। लेखन में आप सभी विधाओं में बचपन से आज तक सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों का प्रकाशन सहित अप्रकाशित साहित्य में १५ पांडुलिपियां तैयार हैं। अन्य पुरस्कारों के साथ आपको उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य संस्थान द्वारा ‘अज्ञेय’ पुरस्कार दिया गया है। आकाशवाणी (दिल्ली)से ध्वन्यात्मक नाटकों में ध्वनि प्रसारण और १९६९ तथा २०१० में नाटक में अभिनय,सितार व कथक की मंच प्रस्तुति दी है। अंग्रेजी स्कूलों में शिक्षण और प्राचार्या भी रही हैं। आप मुज़फ्फरनगर में निवासी हैं|