मिट्टी के दीप

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sunil naman
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी के दीप जलाना।
कुम्हार के मेहनतकश हाथों की रौनक बढ़ाना॥
मिट्टी के दीपों में बाती तेल की खुशबू , दीवाली की रंगत बढ़ाएगी।
दीए बेचने वाली बूढ़ी अम्मा,आशीर्वाद हाथ तभी लहराएगी॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
चाइनीज लड़ियों में कृत्रिमता भरी पड़ी है।
मिट्टी के दीयों संग तो साक्षात् मां लक्ष्मी द्वारे आन खड़ी है॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
दीपक की उज्जवल लौ से कीट-पतंगे सारे मर जाएंगे।
बढ़ रहे प्रदूषण पर, दीपक अनगिनत रोक लगाएंगे॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
मिट्टी के दीपकों में दिखता अपनापन है।
चाइनीज लड़िय़ों में तो बस बनावटीपन है॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
थाली में सजाना दीपक अनेक,खुशियां बिखर जाएंगी।
तम जो फैला होगा अमावस्या को,रौशनी फैल जाएगी॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
आतिशबाज़ी और पटाखों की जब चहुंओर झूम होगी,दीप रोशनी तब खूब होगी।
कृत्रिम रोशनी से तो आर्थिक तंगी होगी॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
दीप रगों में नव उत्साह,उमंग भरते हैं।
बल्ब,ट्यूबलाइट बोझ आर्थिक रूप से करते हैं॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
मिट्टी के दीपक से रोम-रोम पुलकित हो जाते हैं।
पवन में घुलती सुरभि,कीटाणु मर जाते हैं॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
परम्पराओं में बसती सदा सच्ची दीवाली है,दीपक परंपरा के नूर।
चीन सीमा पर बड़बड़ा रहा,मिट्टी के दीप जलाकर कर दो घमंड उसका चकनाचूर॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी के दीप जलाना।
कुम्हार के मेहनतकश हाथों संग ‘धार्विक नमन’ की कविता को भी जरा चमकाना॥
                                                            #सुनील कुमार
परिचय :सुनील कुमार लेखन के क्षेत्र में धार्विक नमन नाम से जाने जाते हैं। आप वर्तमान में डिब्रूगढ़ (असम)में हैं,जबकि मूल निवास झुन्झुनूं (राजस्थान) है।  शैक्षणिक योग्यता एम.ए. (अंग्रेजी साहित्य,समाज शास्त्र,)सहित एम.एड., एमफिल और बीजेएमसी भी है।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।