मिट्टी के दीप

0 0
Read Time2 Minute, 48 Second
sunil naman
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी के दीप जलाना।
कुम्हार के मेहनतकश हाथों की रौनक बढ़ाना॥
मिट्टी के दीपों में बाती तेल की खुशबू , दीवाली की रंगत बढ़ाएगी।
दीए बेचने वाली बूढ़ी अम्मा,आशीर्वाद हाथ तभी लहराएगी॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
चाइनीज लड़ियों में कृत्रिमता भरी पड़ी है।
मिट्टी के दीयों संग तो साक्षात् मां लक्ष्मी द्वारे आन खड़ी है॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
दीपक की उज्जवल लौ से कीट-पतंगे सारे मर जाएंगे।
बढ़ रहे प्रदूषण पर, दीपक अनगिनत रोक लगाएंगे॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
मिट्टी के दीपकों में दिखता अपनापन है।
चाइनीज लड़िय़ों में तो बस बनावटीपन है॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
थाली में सजाना दीपक अनेक,खुशियां बिखर जाएंगी।
तम जो फैला होगा अमावस्या को,रौशनी फैल जाएगी॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
आतिशबाज़ी और पटाखों की जब चहुंओर झूम होगी,दीप रोशनी तब खूब होगी।
कृत्रिम रोशनी से तो आर्थिक तंगी होगी॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
दीप रगों में नव उत्साह,उमंग भरते हैं।
बल्ब,ट्यूबलाइट बोझ आर्थिक रूप से करते हैं॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
मिट्टी के दीपक से रोम-रोम पुलकित हो जाते हैं।
पवन में घुलती सुरभि,कीटाणु मर जाते हैं॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी…।
परम्पराओं में बसती सदा सच्ची दीवाली है,दीपक परंपरा के नूर।
चीन सीमा पर बड़बड़ा रहा,मिट्टी के दीप जलाकर कर दो घमंड उसका चकनाचूर॥
इस दीवाली तुम भी तो मिट्टी के दीप जलाना।
कुम्हार के मेहनतकश हाथों संग ‘धार्विक नमन’ की कविता को भी जरा चमकाना॥
                                                            #सुनील कुमार
परिचय :सुनील कुमार लेखन के क्षेत्र में धार्विक नमन नाम से जाने जाते हैं। आप वर्तमान में डिब्रूगढ़ (असम)में हैं,जबकि मूल निवास झुन्झुनूं (राजस्थान) है।  शैक्षणिक योग्यता एम.ए. (अंग्रेजी साहित्य,समाज शास्त्र,)सहित एम.एड., एमफिल और बीजेएमसी भी है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

गियर बदलना पड़ता है

Mon Oct 9 , 2017
जिंदगी एक सफर है,इसमें चलते रहना पड़ता है, कभी धूप-कभी छांव, तो कभी बारिश में भी आगे बढ़ना रहता है। आएंगे राहों में गड्ढे बड़े-से-बड़े,उनमें से कुछ को पार, तो कुछ में से होकर ही निकलना पड़ता है। अब… माना कि आप नहीं हैं, पैदल चलने के शौक़ीन, नहीं सुहाती […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।