कभी धूप-कभी छांव, तो कभी बारिश में भी आगे बढ़ना रहता है।
आएंगे राहों में गड्ढे बड़े-से-बड़े,उनमें से कुछ को पार,
तो कुछ में से होकर ही निकलना पड़ता है।
अब…
माना कि आप नहीं हैं, पैदल चलने के शौक़ीन,
नहीं सुहाती भी आपको,धूप और बारिश रंगीन
तो आप होंगे अपने ख्वाबों की गाड़ी में बैठे बेहतरीन।
लेकिन हमें ज़रा एक बात ये बताएं…,
मेरी ऊपर कही इक बात पर ज़रा गौर फरमाएं
कि, रास्ते तो होंगे आपके लिए भी वही,
इनमें तो होंगे ज़रा भी बदलाव नहीं।
तो फ़िर…
आपकी इस गाड़ी को भी,
समय-समय पर गियर तो बदलना पड़ता है।
परिचय:बिपिन पाल का साहित्यिक उपनाम-बिपिन बावरा है। इनकी जन्मतिथि-१७ अप्रैल १९९७ और जन्मस्थान- जौनपुर है। वर्तमान में इलाहाबाद(उत्तर प्रदेश) में निवासरत हैं। डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजी.और बीएससी(प्रथम वर्ष)आपकी शिक्षा है। फिलहाल कार्यक्षेत्र-विद्यार्थी का है। स्वतन्त्र लेखन के अन्तर्गत पद्य और शायरी रचते हैं। ब्लॉग पर भी सक्रिय श्री पाल के लेखन का उद्देश्य- अपने आसपास होने वाली छोटी-छोटी घटनाओं, क्रियाओं एवं प्रतिकियाओं के प्रति एक अलग नज़रिया महसूस करना तथा लेखनी द्वारा दूसरों तक भी पहुंचाना है।