घर के संस्कार

0 0
Read Time8 Minute, 22 Second
baldva
‘शिवरतन बेटा तुम्हारा साक्षात्कार बुलावा आया है’, मां ने लिफाफा हाथ में देते हुए कहा। यह मेरा सातवां साक्षात्कार था। मैं जल्दी से तैयार होकर दिए गए नियत समय 9 बजे पहुंच गया। एक घर में ही बनाए गए कार्यालय का दरवाजा खुला ही पड़ा था,मैंने बन्द किया और भीतर गया। सामने बने कमरे में जाने से पहले ही मुझे मां की कही बात याद आ गई-बेटा भीतर आने से पहले पांव झाड़ लिया करो। फुट मैट थोड़ा आगे खिसका हुआ था,मैंने सही जगह पर पाँव रखा,पोंछे और भीतर गया। वहाँ रिसेप्शनिस्ट बैठी हुई थी,उसे अपना साक्षात्कार पत्र दिखाया तो उसने सामने सोफे पर बैठकर इंतजार करने के लिए कहा। मैं बैठ गया। उसके तीनों कुशन अस्त-व्यस्त पड़े थे। आदत( घर में माँ- बाप की सीख,जिससे पहले चिढ़ होती थी) के अनुसार उन्हें ठीक किया। कमरे को सुंदर दिखाने के लिए खिड़की में कुछ गमलों में छोटे-छोटे पौधे लगे हुए थे,तो उन्हें देखने लगा। एक गमला कुछ टेढ़ा रखा था,जो गिर भी सकता था। मां की व्यवस्थित रहने की आदत मुझे यहां भी याद आ गई। धीरे से उठा और उस गमले को ठीक किया। तभी रिसेप्शनिस्ट ने सीढ़ियों से ऊपर जाने का इशारा किया और कहा-तीन नम्बर कमरे में आपका इंटरव्यू है। मैं सीढ़ियां चढ़ने लगा,तो देखा दिन में भी दोनों बिजली जल रही है।ऊपर चढ़कर मैंने दोनों को बंद कर दिया और तीन नम्बर कमरे में गया। वहां दो लोग बैठे थे,उन्होंने मुझे सामने कुर्सी पर बैठने का इशारा किया।फ़िर पूछा-तो आप कब ज्वाइन करेंगे? मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ,मैंने सोचा ६ जगह बड़े-बड़े और अच्छे साक्षात्कार के बाद भी कोई  जवाब नहीं आया और यहाँ बिना साक्षात्कार के ही..।मैंने पूछा-जी मैं कुछ समझा नहीं, इंटरव्यू तो आपने लिया ही नहीं। इसमें समझने की क्या बात है,हमने इंटरव्यू ले लिया और अब हम पूछ रहे हैं कि आप कब ज्वाइन करेंगे ? वह तो आप जब कहेंगे, मैं ज्वाइन कर लूंगा लेकिन आपने मेरा इंटरव्यू कब लिया?
वे दोनों सज्जन हंसने लगे। उन्होंने बताया कि,जब से तुम इस भवन में आए हो तब से तुम्हारा इंटरव्यू ही चल रहा है।यदि तुम दरवाजा बंद नहीं करते तो तुम्हारे २० नम्बर कम हो जाते। यदि तुम फुट ठीक नहीं रखते और बिना पांव पोंछे आ जाते तो फिर २० नम्बर और कम हो जाते। इसी तरह जब तुमने सोफे पर बैठकर उस पर रखे कुशन को व्यवस्थित किया तो उसके भी २० नम्बर थे। और गमले को जो तुमने ठीक किया,वह भी तुम्हारे इंटरव्यू का हिस्सा था। अंतिम प्रश्न के रुप में सीढ़ियों की दोनों लाइट जलाकर छोड़ी गई थी,और तुमने बंद कर दी,तब निश्चय हो गया कि,तुम हर काम को व्यवस्थित तरीके से करते हो और इस जॉब के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार हो।। बाहर रिसेप्शनिस्ट से अपना नियुक्ति-पत्र ले लो और कल से काम पर लग जाओ।
दरअसल आजकल साक्षात्कार लेने और देने वाले इन छोटी किन्तु बड़ी बातों का  ध्यान नहीं देते हैं ,जिसका कारण आजकल का खानपान है। इसी तरह हम बच्चों के सम्बन्ध में भी जो जरुरी बातें हैं,उससे लापरवाह हो गए हैं। ऐसा लगता है कि,ये तो छोटी-छोटी बातें हैं,बस पैसा देख लो। उनको ऐसा लगता है कि,सारा सुख या खुशी पैसों से खरीदी जा सकती है। वास्तव में सच अलग है,ऐसे लोगों का पैसा रुकता नहीं है,फिर हम किस्मत का रोना रोते हैं। पैसा कमाना इतना मुश्किल नहीं,जितना उसको खर्च करना और बचाना है। ये सब शिक्षा आती है घर के वातावरण से और ये बनता है खानपान से। ये कटु सत्य है जो दिखता नहीं और कोई शाला-महाविद्यालय में नहीं सिखाया जाता है। जिस घर के बच्चे माँ-बाप की इस शिक्षा को बंधन समझते हैं, वो अक्सर अपने बंधन तोड़ते हैं,या माँ या बाप में से कोई एक भी इस शिक्षा के समय बच्चे का पक्ष लेते हैं तो वो बच्चे का हितैषी नहीं,दुश्मन साबित होता है।यह परिवार की कलह का जनक होता है। मुझे रह-रहकर मां और बाबूजी की यह छोटी-छोटी सीखें जो उस समय बहुत बुरी लगती थी,आज  याद आ रही थी। मैं जल्दी से घर गया। मां और बाऊजी के पांव छुए और अपने इस अनूठे साक्षात्कार का पूरा विवरण सुनाया॥बाउजी बड़े खुश हुए और बोले-यह सब तो ठीक है,लेकिन बाहर जो दरवाजा तुम खुला छोड़कर के आए हो,उसे पहले ठीक से बंद करके आओ। इस बार मैंने पिताजी की बात को पहली बार में ही सही माना और सोचा अगर पहले दिन से ही ये बातें मानता और काकाओं तथा  अन्य पुचकारने वाले रिश्तेदारों से दूर रहता तो आज शायद कई कारखानों का मालिक होता। खैर,जो रिश्तेदार अनैतिक सम्बन्ध में और अनैतिक गतिविधियों में आपका साथ देते हैं या पुचकारते हैं,वो उस समय तो अच्छे लगते हैं, चाहे वो माँ -बाप ही क्यों न हो पर ये आपके पतन की नीव का पत्थर होते हैं। हर घर में सात्विक और शुद्ध खानपान से क्षणिक दुःख किसी सदस्य को हो सकता है,मगर लंबे जीवन में फायदा देता है। अतः खनपान का ध्यान रखिए। करोड़
रुपए जीत लेना निश्चित ही प्रतिभा का विषय है,किन्तु पति के समक्ष अमिताभ बच्चन के साथ भाग जाने का प्रस्ताव रखना संस्कारों का पतन है। अत्याधुनिक जमाने में माँ-बाप के संस्कार चाहिए या और पतन,ये समाजजनों को निश्चित करना है।

                                                           #शिवरतन बल्दवा

परिचय : जैविक खेती कॊ अपनाकर सत्संग कॊ जीवन का आधार मानने वाले शिवरतन बल्दवा जैविक किसान हैं, तो पत्रकारिता भी इनका शौक है। मध्यप्रदेश की औधोगिक राजधानी इंदौर में ही रिंग रोड के करीब तीन इमली में आपका निवास है। आप कॉलेज टाइम से लेखन में अग्रणी हैं और कॉलेज में वाद-विवाद स्पर्धाओं में शामिल होकर नाट्य अभिनय में भी हाथ आजमाया है। सामाजिक स्तर पर भी नाट्य इत्यादि में सर्टिफिकेट व इनाम प्राप्त किए हैं। लेखन कार्य के साथ ही जैविक खेती में इनकी विशेष रूचि है। घूमने के विशेष शौकीन श्री बल्दवा अब तक पूरा भारत भ्रमण कर चुके हैं तो सारे धाम ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भी कई बार कर चुके हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

गुड़िया

Fri Oct 6 , 2017
मेरे घर दूसरी पोती होने पर तमाम रिश्तेदार इकट्ठे हुए। तरह-तरह से बधाई देने लगे,जिसमें मुझे बधाई से ज्यादा सांत्वना का पुट लग रहा था। कुछ ने कहा-घर में लक्ष्मी आई है,कुछ ने कहा-बड़ी बहन की सहेली आई है,कुछ न कुछ कह-कहकर वे अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे थे। मेरी […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।