बेटियाँ घर का मान होती हैं,पिता का सम्मान होती है, भेदभाव न करो इनसे,आखिर ये भी इन्सान होती है।
किसी ने दिलों को छुआ,तो किसी ने आसमां को, कोई सिंधु, तो कोई कल्पना-सी देश का अभिमान होती है।
कहीं पत्नी,तो कहीं माँ का फ़र्ज़ निभाया जिसने, है बेजान रिश्ते दुनिया के,यही तोउनकी जान होती है।
अधूरा रहता है ज़माने कर हर-एक जश्न, भाईदूज,राखी के बंधन की पहचान होती है।
तसव्वुर नहीं इस संसार की ‘बेटियों’ के बिना, मोह का परिचय और त्याग की पहचान होती है।
#कमल कर्मा`के.के.’
परिचय:कमल कर्मा का उपनाम-के. के. है। आपका नाता खरगोन (मध्यप्रदेश) जिले के ग्राम-दसोड़ (तहसील-बड़वाह)से है। १ जून १९८७ को खरगोन जिले की बड़वाह तहसील के ग्रम दसोड़ा में जन्मे तथा शुरुआती शिक्षा गांव और पास स्थित सनावद में ली। फ़िर उज्जैन से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की उपाधि २००९ में प्राप्त की। आपके कार्यक्षेत्र की शुरुआत संघर्ष से ही हुई है। भारत की कई कम्पनी मेंकाम कर चुके श्री कर्मा वर्तमान में बड़ी कम्पनी में उप प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। काव्य में महाविद्यालय के दिनों से ही रुचि ही है। इनकी रचनाएं वेब पोर्टल पर प्रदर्शित हुई है।
श्री अजय जैन जी और अर्पण जैन जी का बहुत बहुत आभार , मेरी रचना को स्थान देने के लिए