बेटियां

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kamal karma

बेटियाँ घर का मान होती हैं,पिता का सम्मान होती है,                                  भेदभाव न करो इनसे,आखिर ये भी इन्सान होती है।

किसी ने दिलों को छुआ,तो किसी ने आसमां को,                                                कोई सिंधु, तो कोई कल्पना-सी देश का अभिमान होती है।

कहीं पत्नी,तो कहीं माँ का फ़र्ज़ निभाया जिसने,                                                     है बेजान रिश्ते दुनिया के,यही तोउनकी जान होती है।

अधूरा रहता है ज़माने कर हर-एक जश्न,                                                              भाईदूज,राखी के बंधन की पहचान होती है।

तसव्वुर नहीं इस संसार की ‘बेटियों’ के बिना,                                                           मोह का परिचय और त्याग की पहचान होती है।

 #कमल कर्मा`के.के.’

परिचय:कमल कर्मा का उपनाम-के. के. है। आपका नाता खरगोन (मध्यप्रदेश) जिले के ग्राम-दसोड़ (तहसील-बड़वाह)से है। १ जून १९८७ को खरगोन जिले की बड़वाह तहसील के ग्रम दसोड़ा में जन्मे तथा शुरुआती शिक्षा गांव और पास स्थित सनावद में ली। फ़िर उज्जैन से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की उपाधि २००९ में प्राप्त की। आपके कार्यक्षेत्र की शुरुआत संघर्ष से ही हुई है। भारत की कई कम्पनी मेंकाम कर चुके श्री कर्मा वर्तमान में बड़ी कम्पनी में उप प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। काव्य में महाविद्यालय के दिनों से ही रुचि ही है। इनकी रचनाएं वेब पोर्टल पर प्रदर्शित हुई है।

matruadmin

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One thought on “बेटियां

  1. श्री अजय जैन जी और अर्पण जैन जी का बहुत बहुत आभार , मेरी रचना को स्थान देने के लिए

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मर्यादा

Wed Oct 4 , 2017
है तुमको रहना।रामायण की सीता का भी तो सबसे बस यही है कहना॥ लांघी थी उसने एक लक्ष्मण रेखा।फिर हुआ एक संग्राम,जो था समस्त विश्व ने देखा॥ ठहराया था सबने सीता को दोषी।क्यों नहीं देखी किसी ने राम की खामोशी॥ कर दिया खड़ा कठघरे में सबने सीता को।क्यों किसी ने कुछ नहीं कहा उस दुष्ट रावण को॥ कहती रही वो सबसे-हूं मैं अभी भी पावन।काश एक बार राम ने भी कहा होता-प्रिये उदास न हो,गलत तो था वो रावण॥ निकाल दिया सबने सीता को अयोध्या से,  किसी ने उसकी एक न मानी।राम भी खड़े थे उस भीड़ में,जो थी असल  सत्य से अनजानी॥ देनी पड़ी सीता को अग्निपरीक्षा।क्या इसी क्षण की,की थी उसने चौदह वर्ष  तक प्रतीक्षा॥ राम नाम लेते-लेते जिसका मुख नहीं था  थकता।     फिर उसी सीता के लिए थी,राम की ये कैसी बेबसता॥ रोती हुए सीता चली गई एक वन में।कहती किससे वो,आ गया था जो दुख उसके जीवन में॥ होता रहेगा नारी का,और कितना अपमान।न जाने करती रहेगी वो कितने बलिदान॥    #शिवानी गीते परिचय: लेखन में शिवानी गीते का उपनाम-वाणी है। इनकी जन्मतिथि-३ अगस्त १९९७ तथाजन्म स्थान-खरगोन(मध्यप्रदेश)हैl आप वर्तमान में इंदौर में निवासरत हैं। शिक्षा-बीए(पत्रकारिता एवं जनसंचार) है तो पेशा यानी कार्यक्षेत्र भी पत्रकारिता ही हैl लेखन के नाते ही समाज से जुड़ाव है। दैनिक अखबार में कविता प्रकाशित हुई है तो उपलब्धि यही है कि,प्रसिद्ध समाचार वेब पोर्टल पर लेख लगे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।