0
0
Read Time45 Second
धान रोपने वाले मजदूरों को समर्पित
पग दलदल में मन उलझन में
कमर बनी कमान
वे रोपते धान।
रंग बिरंगी पन्नी ओढ़े
आते है सब दौड़े-दौड़े
बस मेहनत ही भगवान
वे रोपते धान !!
बिच्छू सांप है संगी-साथी
न वृष्टि न धूप सताती
न आंधी और तूफान
वे रोपते धान !!
सांझ ढले बाहर वे आते
फूले पैर श्वेत हो जाते
और गीले परिधान
वे रोपते धान !!
इन चावल का मोल है कितना
हो सुदामा के तंदुल जितना
पाकर तृप्त हुए भगवान
वे रोपते धान!!
#कीर्ति वर्मा
Post Views:
476