आज फिर हरिया,देर रात गये नशे में आया और पूरा घर आसमान पर उठा लिया।सिया की पूरी रात आंसुओं में गुजरी।
हरीराम, गांव का होनहार,बारहवीं कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण युवक।सब उसे प्यार से हरिया कहते थे।पिता की खेती-बाड़ी भी अच्छी तरह से सम्हालता।
बड़ा हुआ तो सिया के साथ उसकी शादी हो गई।सिया भी पास के गांव की ही बारहवीं पास सुन्दर ,सुशील,गुणी लड़की।घर सुचारू रूप से चल रहा था।
समय पंख लगाकर उड़ रहा था। तीन बच्चे भी हो गये।माँ-पिता भी अब बुजुर्ग हो चले थे।सब काम हरिया और सिया ने संभाल लिया था।कुल मिलाकर गृहस्थी सुचारू रूप से चल रही थी,किन्तु कुछ दिनों से न जाने हरिया को किसकी बुरी संगत लगी,वह रोज नशे में घर आने लगा।सिया सोचती कुछ दिन में सब ठीक हो जायेगा।हरिया भी उसे बहला-फुसलाकर बात टाल देता,,,,किन्तु धीरे-धीरे स्थिति और बिगड़ने लगी।हरिया साँझ तले खेत से सीधे दोस्तों के साथ निकल जाता और रात में नशे में धुत घर लौटता।
धीरे-धीरे उसकी गृहस्थी बिखरने सी लगी।बच्चे भी हरिया को देखकर सहमे-सहमे से रहते।नींद सिया की आँखों से कोसों दूर रहती।अब तो हरिया को सुधारना एक बहुत बड़ी चुनोती बन गई थी।
एक दिन सिया अपनी छोटी बेटी को टीका लगवाने अस्पताल गई,वहां एक नई डॉक्टरनी साहिबा आईं थीं।उनसे मिलकर सिया को बहुत अच्छा लगा। और बातों ही बातों में सिया ने अपनी पूरी बात उनको बता दी।उन्होंने उसे पास के ही शहर के नशा-मुक्ति केंद्र के बारे में बताया।कि वहां कुछ महीने हरिया को रखने पर वह ठीक हो जायेगा।
हालाँकि बुजुर्ग सास-ससुर,तीन छोटे बच्चों के साथ अकेले घर व खेती सम्हालना भी किसी चुनोती से कम न था किन्तु हरिया को ठीक करने की खातिर उसने यह भी स्वीकार कर लिया।
अब सबसे बड़ी समस्या थी,हरिया को नशा-मुक्ति केंद्र ले जाने की।सिया समझदार तो थी ही।दूसरे दिन अपने बच्चों को लेकर गांव के सरपंच जी के पास गई।हरिया की हालत, उसके दुर्व्यवहार के बारे में बताया।और अगले ही दिन सरपंच जी ने फैसला सुनाया कि ग्राम-पंचायत के खर्चे पर ही हरिया को छह माह के लिये शहर के नशा- मुक्ति केंद्र में रहना होगा।साथ ही उसके परिवार की देखभाल भी ग्राम-पंचायत ही करेगी।
और अगले सप्ताह सिया अपने बच्चों के साथ हरिया को लेकर नशा-मुक्ति केंद्र के कार्यालय में खड़ी थी। आने वाले सुखमय समय की कल्पना करते हुए,,,,,,,।।।।।।
#साधना छिरोल्या
दमोह (म.प्र.)
परिचय-
नाम-श्रीमती साधना छिरोल्या।
पति का नाम-श्री कैलाश छिरोल्या।
स्थान-जबलपुर(म.प्र.)
शिक्षा-बी.एस. सी. बी.एड.(गणित)
प्रकाशन-गहोई बन्धु पत्रिका(ग्वालियर म.प्र.)
गहोई संस्कार पत्रिका
जबलपुर(म.प्र.)
गहोई सूर्य अख़बार
जबलपुर(म.प्र.)
लोकजंग भोपाल
“वाह!जिंदगी” हिंदी काव्य संग्रह
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“स्त्री तुम सृजक”
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“वुमेन आवाज “
साझा संकलन।
सम्मान-भाषण,नाटक वादविवाद,तात्कालिक निबंध,कविता एवं सुलेख प्रतियोगिताओ में पुरस्कार।
गहोई समाज एवं हितकारिणी स्कूल जबलपुर द्वारा हिंदी काव्य लेखन के लिये पुरस्कार।
अंतरा शब्द-शक्ति द्वारा हिंदी कलमकार का सम्मान।
राजस्थान की कवि चौपाल दौसा शाखा द्वारा
“कवि चौपाल शारदा सम्मान”।
अंतरा शब्द-शक्ति द्वारा
कहानी प्रतियोगिता में पुरस्कार।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् विराटनगर जयपुर द्वारा साहित्य पुरस्कार।