स्वर्ग से सुंदर
प्यारा-न्यारा
अपना घर
छोटा हो या हो बड़ा
कच्चा हो या हो पक्का
जैसा भी हो
कैसा भी हो
सबसे बढ़िया होता
अपना घर
सुख-शांति
असीम तृप्ति
आनन्द की खान
अपना घर
जाड़ा-गर्मी और बरसात से
सहज बचा लेता
अपनों के प्यार-स्नेह से
महक उठता घर
घर का सुख
पूछो उनसे
जिनके पास नहीं है
अपना घर
टूटा हो या फूटा हो
टाट-झोपड़ी वाला घर
एक मंजिला हो या
हो बहुमंजिला
अपना घर तो
अपना घर ही होता है |
#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl