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जीते जी माँ-बाप को,माँ-बाप मानो,
उनका सच्चा श्राद्ध हो जाएगा।
जीते जी उनकी,तकलीफों को पहचानो,
उनका सच्चा श्राद्ध हो जाएगा।
जीते जी उनकी,भावनाओं की कद्र करो,
उनका सच्चा श्राद्ध हो जाएगा।
जीते जी उनका,कभी अपमान न करो,
उनका सच्चा श्राद्ध हो जाएगा।
जीते जी उनका,शुभाशीर्वाद ले लो,
उनका सच्चा श्राद्ध हो जाएगा।
#अरविंद ताम्रकार ‘सपना’
परिचय : श्रीमति अरविंद ताम्रकार ‘सपना’ की शिक्षा एमए(हिन्दी साहित्य)है।आपकी रुचि लेखन और छोटे बच्चों को पढ़ाने के साथ ही जरुरतमंद की सामर्थ्यानुसार मदद करने में है।आप अपने रचित भजन खुद गाकर व लेखन द्वारा अपने मनोभावों को चित्रित करती हैं। सिवनी(म.प्र.)के समता नगर में आप रहती हैं।
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