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खुदा जो तेरा था वही खुदा तो मेरा था।
फिर मेरे हिस्से में रात क्यों,तेरे तो सवेरा थाll
जश्ने-दिवाली मनाई गई तेरे घर में।
तुझे क्या खबर,मेरे घर में अंधेरा थाll
रोक तो सकते थे,मगर खामोश रहे क्योंकि।
जिन हाथों ने उठाए थे पत्थर,
सुना था उसमें हाथ तेरा थाll
कसमें-वादे-शर्तें सब तो `अमित` तेरी थीं।
सभी को तोड़ने हक भी पहले तेरा थाll
#अमित शुक्ला
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