जय किसान
सारे
तीज- त्योहार, रिश्ते- नाते, आदर- सत्कार
ये जीवन का स्पंदन
तुम्ही से है
तुम्हारे पसीने से मिल कर
ये निर्जीव माटी भी महक उठती हैं
हे अन्नदाता हमारा सलाम है तुझे
सत्ता कितनी ही शातिर होकर
निरंकुश हो जाये पर
हम सभी तेरे कर्जदार बन कर ही रहेंगे
तेरे लिये पूस की कड़काड़ाती ठंड
जेठ की चिलचिलाती धूप
तेरे बच्चे बन कर तुझसे
हमेशा यूँ ही लिपटते रहते हैं
और तूँ
महामानव सा खड़ा रहकर
लाँघता रहता है
अनंत कदमों को
अपने आश्रितों को
पोषित करने की चाह में
आराम हराम है पल भर का
तेरे वास्ते
#स्मिता जैन