गुड़गांव का दाग

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avinash
गुरुग्राम के निजी स्कूल में हुई अत्यंत घृणित और नीच हरकत ने पूरे देश के पालकों को डरा दिया है,मगर आखिर कब तक हम लचर और लाचार व्यवस्थाओं की सड़ी-गली बदबूदार गलियों के चक्कर खाते शिक्षा के सुधरने की बाट जोहते रहेंगे। एक अंधी होड़ है बस कैसे भी करके बच्चे को `अच्छे` स्कूल में डाल दें,ताकि पढ़- लिखकर बच्चे उस `मध्यम वर्ग` से बाहर आ जाएं,जिसको मां-बाप झेल रहे हैंl वही मध्यम वर्ग,जिसके लिए वित्त मंत्री संसद में बजट पेश करते हुए लानत देते हैं कि,वो अपने होने को धरती पर बोझ समझकर अपनी चादर को खुद समेटें,क्योंकि सरकार गरीबों की योजनाएं पेश कर अमीरों को अमीर बनाने में जी-जान से जुटी हुई है,इसलिए मध्यम वर्ग की जान की कीमत कुछ नहीं हैl उसे हर जगह मरना है-चाहे वो अस्पताल जाए,चाहे वो स्कूल जाए, चाहे वो रेल का सफर करे,चाहे दोपहिया से घर लौटते हुए सड़क पर दम तोड़ेl उसे मरना ही है हर हालत में,बैंक की कतारों में,करों के बोझ से,बेटी के दहेज में,स्कूल की फीस में,न्यायालय की चारदीवारी में,पुलिस की पहरेदारी में,नेताओं के अवैध दौड़ते डंपरों के नीचे और बाबाओं की सजा के पीछे। लानत है ऐसे समाजवाद और `वसुदेव कुटुम्बकम` के नारों की लाल किले से हुंकार भरते देश के उन नेताओं पर,जो किसी भी दल के हों,पर देश के सर्वजन के न हो सके। गुड़गांव की घटना के पहले भी हजारों घटनाओं पर पूरा देश डगमगाता है,उसका मानस झकझोर दिया जाता है मगर एक-दो दिन में फिर से गधे के आगे लटकी जलेबी की तरह लपलपाता चल पड़ता है अपने मसीहाओं से उम्मीद लिए। इस देश के मध्यम वर्ग को समझना होगा,तथा अपनी जरूरतों के बारे में और एकजुट होकर ताकत दिखानी होगी। खुद सृजन करना होगा अपने भविष्य का और अपने ही बूते पर व्यवस्थाओं की रचना करनी होगीl तभी सरकार भी आपके लिए झुक पाएगी ,वरना अपने नौनिहालों और उनके सपने यूँ ही कुचलते देखते रहो और छाती फाड़ विलाप करते रहोl 

                                                                    #अवनीश जैन

परिचय:लेखन,भाषण,कला और साहित्य की लगभग हर कला में पारंगत अवनीश जैन बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। ४७ बरस के श्री जैन ने महज ९ वर्ष की उम्र में पत्रकारिता से जिंदगी की शुरुआत की और विभिन्न व्यवसायों में यात्रा करते हुए कई वर्षों से शिक्षा और प्रशिक्षण में व्यस्त हैं। इंदौर निवासी श्री जैन कई औद्योगिक और रहवासी संस्थानों के वास्तु सलाहकार भी हैं। अब तक कई कविताएं-कहानियाँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। लिखना आपकी पंसद का कार्य है,साथ ही शिक्षा के छोटे-बड़े कई संस्थानों में प्रेरणादायक प्रशिक्षक के तौर पर अनेक कार्यक्रम कर चुके हैंl

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।