Read Time1 Minute, 42 Second
मातृभूमि से बढ़कर,कोई चंदन नहीं होता,
नवकार से बढ़कर,कोई वंदन नहीं होता।
सच्ची शिक्षा और प्रेरणा,अनूठी मिसाल है,
त्याग तप और धर्म की,एक प्रतिमूरत है।
यूं तो संत जमाने में,हजारों-लाखों होते हैं,
पर उनमें भी कुछ आशाराम व राम-रहीम होते हैं।
जिनके कर्मों से समाज,व धर्म कलंकित होता है,
ऐसे पापियों का एक दिन, पतन निश्चित होता है।
सच्चा संत गर कोई है तो, इस जग में जैन संत है,
जिनका न घर,न परिवार है, न बंगला न गाड़ी है।
त्याग,तप,दया और धर्म,यही जिनका प्राणाधार है,
संतो में सिर्फ एक ही निशान है, गुरु नवरत्न महान है।
जिसे पूजता है जग सारा,वो गुरुनवरत्न हमारा है,
जिसे मिला दिव्याशीष, उनकी प्रेरणा का बखान है।
जो लाखों युवाओं की धड़कन है, वे विश्वरत्न महान हैं,
ऐसे गुरु की कृपा जिस पर हो, उसका बेड़ा पार है॥
#प्रमोद बाफना
परिचय : प्रमोद कुमार बाफना दुधालिया(झालावाड़ ,राजस्थान) में रहते हैं।आपकी रुचि कविता लेखन में है। वर्तमान में श्री महावीर जैन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय(बड़ौद) में हिन्दी अध्यापन का कार्य करते हैं। हाल ही में आपने कविता लेखन प्रारंभ किया है।
Post Views:
412