कितने प्यारे हैं ये जानवर,
जिसे करते हैं प्यार उस पे देते ,जान वार।
ये मनुष्यों को भी देते हैं प्रेम से जीने का, शार,
कोई मजहब नहीं है इनका और न कभी
सियासी दांव-पेंच में करते एक-दूसरे पे ,प्रहार।
कभी बलि, तो कभी कुर्बानी के नाम पे मारते हैं
हम इन्हें और इनसे हमें मिलता है कभी दूध के
रूप में तो कभी भोजन के रुप में , उपहार।
मानती हूँ सर्वहार भी रुप है भोजन का,
किन्तु बिना कारण के क्यूं करते हो इन्हें परेशान
हमें समझना होगा ये,इन्हीं से आती है
जीवन में हमारे, बहार।
वन का आधार ये हैं,फिर क्यूं,
झूठी शान में देते हैं हम इन्हें, मार।
आज इन्सान इतना गिर गया है शायद,
किसी को इंसान कहना अपशब्द है और,
जानवर कहना है फूलों का, हार।
एक जानवर ही तो है ,
जिसे करते हैं प्यार, उस पे देते हैं, जान वार॥
परिचय: आरती जैन राजस्थान राज्य के डूंगरपुर में रहती है। आपने अंग्रेजी साहित्य में एमए और बीएड भी किया हुआ है। लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई दूर करना है।
Very nice poet by aarti Jain and we all human should follow this things now a days. But we only doing this activity on social media no in real.
I proud to be classmates of aarti Jain.