वो मक्के की रोटी,
और चने का साग।
याद बहुत आते हैं हमको,
वो नानी के घर की शाम।
गाँव की वो नहर जिसमें,
मस्ती किया करते थे।
आम की वो डाली जिस पर,
झूला झूला करते थे।
याद मुझको बड़े आते हैं,
वो उल्टे सीधे काम।
याद बहुत आते हैं हमको,
वो नानी के घर की शाम।
वो मक्के की………
सिलबट्टे की चटनी और,
चूल्हे की मंदी आँच।
देशी घी की खुशबू और,
यारों का वो नाँच।
याद आज भी हैं मुझको,
वो कच्चे पक्के आम।
याद बहुत आते हैं हमको,
वो नानी के घर की शाम।
वो मक्के की………
नाना नानी की खाट जिसपे,
हम सोया करते थे।
खेतों की वो मिट्टी जिसमें,
यूँ ही बीज बोया करते थे।
आज भी भूल ना पाते हैं हम,
गिल्ली डन्डा का नाम।
याद बहुत आते हैं हमको,
वो नानी के घर की शाम।
वो मक्के की………
स्वरचित
सपना (सo अo)
प्राoविo-उजीतीपुर
विoखo-भाग्यनगर
जनपद-औरैया