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है तीन तलाक असंवैधानिक,
सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया।
दकियानुसी कठमुल्लाओं के,
मुंह पर खींच तमाचा जड़ दिया॥
इस्लाम की धौंस दिखाकर,
महिलाओं पर अत्याचार किया।
जो सब कुछ लुटाया था तुम पर,
उनको ही बेघरबार किया॥
और हलाला का हवाला देकर,
उनको जलील तुम करते थे।
शरीयत को ढाल बनाकर,
उनका शोषण करते थे॥
बेबसी और लाचारी पर,
बस आंसू ही वे बहाती थी।
चार-चार बीबी के शौहर बन
तुम कितना इतराते थे॥
कब तलक अत्याचार वो सहती,
अपनी दोजख जिन्दगी पर।
धधक रही थी ज्वाला भीतर
जीती थी खून के आंसू पीकर॥
पर कठमुल्लाओं के भय से,
घुट-घुटकर वो जीती थी।
जिल्लत के विष का प्याला,
मजबूरी में ही पीती थी॥
आज आया नया सबेरा,
नवजीवन का संदेशा लेकर।
तीन तलाक की त्रासदी से
मुक्ति की नई राह देकर॥
जब हम हैं एक देश के,
एक हमारा झंडा है।
अलग-अलग कानून का बोलो,
ये क्या गोरखधंधा है॥
सबका हो सम्मान यहां पर,
एक-सा हो जीने का आधार।
एक हो सबकी खातिर कानून,
सबको मिले समान अधिकार॥
बंद हुआ मुंह कठमुल्लाओं का,
बंद होगी अब मनमानी।
एक रहेगा अब कानून सबका,
खुशहाल बनेगी जिन्दगानी॥
#सुरेन्द्र अग्निहोत्री ‘आगी’
परिचय: सुरेन्द्र अग्निहोत्री ‘आगी’ ने बी.काम.और डी.एड. के साथ ही एम.ए(हिन्दी तथा इतिहास) भी किया है। १९६२ में ६ जुलाई को जन्मे और पढ़ाई के बाद शिक्षक बने। आप छत्तीसगढ़ के जिला महासमुन्द में निवास करते हैं। छत्तीसगढ़ी और हिन्दी भाषा में आपकी २ किताब शीघ्र ही छपकर आने वाली हैं।
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Thu Aug 24 , 2017
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