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सावन में बिन बूंदों के बादल
अच्छे नहीं लगते
होश वाले हो जाएँ पागल
अच्छे नहीं लगते
सजनी के लहराते आँचल
अच्छे नहीं लगते
साजन बिन चूड़ी-कंगन-काजल
अच्छे नहीं लगते
अट्टालिकाओं को जाने क्यों
हम तुम जान समझ बैठे
बिन संवादों के घर-आँगन
अच्छे नहीं लगते
#पवन गहलोत(रोहतक, हरियाणा)
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