भाग्य में कितना धन?…

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sanjay
आदमी ने पूछा -मेरे भाग्य में कितना धन है?
नारदमुनि ने कहा-भगवान विष्णु से पूछकर कल बताऊंगा…l
नारदमुनि ने कहा-१ रुपया रोज तुम्हारे भाग्य में है…।
आदमी बहुत खुश रहने लगा…l
उसकी जरूरतें १ रुपए में पूरी हो जाती थी…।
एक दिन उसके मित्र ने कहा-मैं तुम्हारे सादगी के जीवन और खुश देखकर बहुत प्रभावित हुआ हूं और अपनी बहन की शादी तुमसे करना चाहता हूँ…।
आदमी ने कहा-मेरी कमाई १ रुपया रोज की है,इसको ध्यान में रखना…। इसी में से ही गुजर-बसर करना पड़ेगा तुम्हारी बहन को…।
मित्र ने कहा-कोई बात नहीं,मुझे रिश्ता मंजूर है…।
अगले दिन से उस आदमी की कमाई ११ रुपया हो गई…।
उसने नारदमुनि को बुलाया कि, हे मुनिवर मेरे भाग्य में १ रुपया लिखा है,फिर ११ रुपए  क्यों मिल रहे हैं…?
नारदमुनि ने कहा – तुम्हारा किसी से रिश्ता या सगाई हुई है क्या…??
हाँ हुई है…
तो यह तुमको १० रुपए उसके भाग्य के मिल रहे हैं…।
इसको जोड़ना शुरु करो, तुम्हारे विवाह में काम आएंगे…।
एक दिन उसकी पत्नी गर्भवती हुई और उसकी कमाई ३१ रुपए होने लगी…।
फिर उसने नारदमुनि को बुलाया और कहा-मुनिवर मेरी और मेरी पत्नी के भाग्य के ११ रुपए मिल रहे थे,लेकिन अभी ३१ रुपए क्यों मिल रहे हैं…।
क्या मैं कोई अपराध कर रहा हूँ…??
मुनिवर ने कहा-यह तेरे बच्चे के भाग्य के २० रुपए मिल रहे हैं…।
हर मनुष्य को उसका प्रारब्ध (भाग्य) मिलता है…।
किसके भाग्य से घर में धन-दौलत आती है, हमको नहीं पता…,लेकिन मनुष्य अहंकार करता है कि मैंने बनाया..मैंने कमाया…मेरा है…।
मै कमा रहा हूँ…मेरी वजह से हो रहा है…।
हे प्राणी, तुझे नहीं पता तू किसके भाग्य का खा-कमा रहा है…॥

matruadmin

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।