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साल गुजरेंगे कुछ महीनों में,
आ के बैठो तो नाज़नीनों में।
आप शामिल हैं हमनशीनों में,
सांप पलते हैं आस्तीनों में।
करके मेहनत कमाओ दुनिया को,
खुशबूएँ आएंँगी पसीनों में।
हुस्न उसका खुदा की नेमत है,
अब भी मशहूर हैं हसीनों में।
दोस्ती करके हमने जान लिया,
रंजिशें हैं बहुत कमीनों में।
#अब्दुल रऊफ ‘मुसाफ़िर’
परिचय : अब्दुल रऊफ ‘मुसाफ़िर’ को लिखने का शौक है। आप मध्यप्रदेश के सेंधवा(जिला बड़वानी) में रहते हैं।
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