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शत्रुता का नाश हो,प्रेम का आगाज़ हो,
गर्व चकनाचूर हो, ममता निहाल हो।
मिला आज मौका है, माफी के मुकाम का,
चूकने न देंगें हम,माफी आज लेंगें हम।
यह शुद्धता की भावना,है मंगल कामना,
पर्व ये महान है, धर्म का वितान है।
क्षमापना मनाएंगे, शत्रुता मिटाएंगे,
दीप एक जल गया है,सूर्य उसे बनाएंगे।
देख ले जग ये सारा,हम न अब रुकेंगे,
हर तरफ गूंज उठा,जैनियों का नारा है।
पाप कर्म नष्ट हो,मन भी पवित्र हो,
बैर भूलें हम, सबके लिए मित्र हों॥
#प्रमोद जैन
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