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जीवन के क्षण,कभी हर्षित कभी बोझिल,
कभी तेज उजाला, कभी तारों की झिलमिल।
कभी खुशियों का खजाना, कभी ग़म में गाफिल,
कभी हर ओर सन्नाटा, कभी शोरगुल शामिल।
कभी अभाव,तंगहाली, कभी हासिल ही हासिल,
कभी हर ओर अपने, कभी लगते सभी कातिल।
कभी शाम-ए-तन्हाई, कभी शाम-ए- महफिल,
कभी हर दिल में खुन्नस, कभी अज़ीज है हर दिल।
कभी दुआओं की बारिश, कभी कोप भर नाज़िल,
कभी वीरानों के दरम्यां, कभी महफिल ही महफिल।
कभी हमदम भी बेगाने, कभी दुश्मन भी फ़ाज़िल,
कभी गफलत ही गफलत,कभी गुडविल ही गुडविल।
जीवन के क्षण,कभी हर्षित कभी बोझिल…॥
#दुर्गेश कुमार
परिचय: दुर्गेश कुमार मेघवाल का निवास राजस्थान के बूंदी शहर में है।आपकी जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी है। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा ली है और कार्यक्षेत्र भी शिक्षा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। विधा-काव्य है और इसके ज़रिए सोशल मीडिया पर बने हुए हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी की सेवा ,मन की सन्तुष्टि ,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है।
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