धागा

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balram

छोटा-सा ये निर्बल धागा,

 न जाने कितने रिश्तों को बचाता है।

कभी ले रूप राखी का,

भाई को उनके कर्तव्य की याद दिलाता हैl

कभी ले रूप मंगलसूत्र का,

पति-पत्नी के पवित्र बंधन को दर्शाता है।

छोटा-सा ये निर्बल धागा…ll

कभी बनकर दोस्त ये,

दोस्ती का वचन निभाता है।

कभी यज्ञ और पूजा में ले रूप,

रोली का प्रभु द्वारा प्रदत्त

रक्षाकवच बन जाता है।
छोटा-सा ये निर्बल धागा…ll

रौद्र रूप भी इसका बड़ा उपयोगी है,

बन के फाँसी का फँदा मानवता,

के दुश्मन से हमें बचाता है।

छोटा-सा ये निर्बल धागा न जाने,

कितने रिश्तों को बचाता है।

छोटा-सा ये निर्बल धागा…ll

                                                                       #बलराम कुमार भगत

परिचय: बलराम कुमार भगत की जन्मतिथि ५ अप्रैल १९९८ तथा जन्म स्थान- छातापुर (महद्दीपुर,बिहार) हैl स्नातक तक शिक्षित बलराम भगत का कार्यक्षेत्र-लेखन व पढ़ाई ही हैl आप बिहार के शहर पटना से हैं और सामाजिक सेवा के कार्यों में सक्रिय रहते हैंl हिन्दी भाषा में कविता एवं लघु कथा रचते हैंl ब्लॉग पर भी लिखते हैंl उत्कृष्ट कार्य हेतु विधायक द्वारा सम्मानित हैंl अन्य उपलब्धि में १२ वीं में महाविद्यालय में उच्च रहे हैंl लेखनी इनकी चाहत हैl

matruadmin

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4 thoughts on “धागा

  1. कृपया अपना बहमूल्य प्रतिक्रिया अवश्य दें।
    आपका प्रिय मित्र बलराम भगत ,अन्य कविता जल्द ही वेबसाइट पे उपलब्ध होगी ।
    धन्यवाद

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