(तर्ज-चिठ्ठी न कोई संदेश…)
यूँ करके आंखें नम, हम सबको देकर गम,
कहाँ तुम चले गए,
खुशियों को करके कम,हम सबको देकर गम,
कहाँ तुम चले गए….।
कुछ तो ही कहा होगा,हमने न सुनी होगी
इस गलती की सजा अब क्या यही होगी।
तुम देकर दिल पे जख्म,ये है कैसा सितम,
कहाँ तुम चले गए,कहाँ तुम चले गए॥
भारत के भविष्य पर ये कैसी आफत है,
जो भरते थे हुंकार हमें उन पर लानत है।
हाय टूट गए अब हम,जब निकला सबका दम,
कहाँ ढूंढेगी मम्मी, जहाँ तुम चले गए।
( बच्चों की ओर से निवेदन)
अब बस भी करो तुम सब, कुछ काम तो कर लो अब।
हमने तो कर दी सूनी गोदें,अब जाग भी जाओ सब॥
अब देकर ये मरहम, कर दो राजनीति को कम।
जहां हम चले गए, जहाँ हम चले गए॥
#आदर्श जायसवाल
परिचय: आदर्श जायसवाल का जन्म १४ जुलाई १९९६ को प्रतापगढ़ के बिहारगंज में हुआ है। आप उत्तर प्रदेश के शहर प्रतापगढ़ में ही रहते हैं। वर्तमान में बी.ए. के छात्र होकर सामाजिक क्षेत्र में अपने समाज के मीडिया प्रभारी हैं। विधा-कविता है। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनके लेखन का उद्देश्य अच्छा कवि बनकर समाज को जागरुक करना है।
बहुत खूब