शौर्य है वह जो लगा दे आग पानी में,
शौर्य पागल भी करे चढ़ती जवानी में।
सरफ़रोशी भी जगा दे कातिलों खातिर,
शौर्य चूमें आसमाँ नादाँ जवानी में।
शौर्य की पहचान है वो आग से.खेले,
शौर्य देता मोड़ है जीवन कहानी में।
शौर्य तूफानी हवा जो मोड़ देता रुख,
शौर्य से ही शोहरत है जिंदगानी में।
शौर्य के आवेग से दरिया भी हिल जाए,
शौर्य वो जो खौफ ला दे आग पानी में।
शौर्य है ये बंदगी सब को हिला दे वो,
शौर्य ‘ध्रुव’ ज़ाबाँज़ यारों की जुबानी में।
परिचय: भोपाल निवासी प्रदीपमणि तिवारी लेखन क्षेत्र में ‘ध्रुवभोपाली’ के नाम से पहचाने जाते हैं। वैसे आप मूल निवासी-चुरहट(जिला सीधी,म.प्र.) के हैं,पर वर्तमान में कोलार सिंचाई कालोनी,लिंक रोड क्र.3 पर बसे हुए हैं।आपकी शिक्षा कला स्नातक है तथा आजीविका के तौर पर मध्यप्रदेश राज्य मंत्रालय(सचिवालय) में कार्यरत हैं। गद्य व पद्य में समान अधिकार से लेखन दक्षता है तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होते हैं। साथ ही आकाशवाणी/दूरदर्शन के अनुबंधित कलाकार हैं,तथा रचनाओं का नियमित प्रसारण होता है। अब तक चार पुस्तकें जयपुर से प्रकाशित(आदिवासी सभ्यता पर एक,बाल साहित्य/(अध्ययन व परीक्षा पर तीन) हो गई है। यात्रा एवं सम्मान देखें तो,अनेक साहित्यिक यात्रा देश भर में की हैं।विभिन्न अंतरराज्यीय संस्थाओं ने आपको सम्मानित किया है। इसके अतिरिक्त इंडो नेपाल साहित्यकार सम्मेलन खटीमा में भागीदारी,दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भी भागीदारी की है। आप मध्यप्रदेश में कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।साहित्य-कला के लिए अनेक संस्थाओं द्वारा अभिनंदन किया गया है।