मेरी कोशिश

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d m gupta
मैं केवल कोशिश करता हूँ धर्म  मार्ग पर  चलने  की,

मैं केवल कोशिश करता हूँ दुखियों के दुःख हरने की।
मेरी कोशिश सदा यही कि, मुझसे  सकल जहां  हँसे,
मैं केवल कोशिश करता हूँ रवि की भांति विचरने की ll 
 
मैं केवल कोशिश करता हूँ नित्य नया कुछ कर जाऊं, 
मैं केवल कोशिश करता हूँ  धरती  माँ  को  महकाऊँ। 
मेरी कोशिश सदा यही कि,सत्य मार्ग  पर चला करूं,
मैं केवल कोशिश करता हूँ अमन शांति चंहु दिश लाऊँll 
 
मैं केवल कोशिश करता हूँ सब जन एक समान रहें,
मैं केवल कोशिश करता हूँ भारत  माँ का  मान रहे।
मेरी कोशिश सदा यही कि, सबको  गले लगाऊँ मैं,
मैं केवल कोशिश करता हूँ जन-गण-मन का गान रहे ll 
मैं केवल कोशिश करता हूँ प्रात खगों-सा हो चहकूं,
मैं केवल कोशिश करता हूँ सुमन गंध-सा हो गमकूँ।
मेरी कोशिश सदा  यही  कि, ओरों  का  श्रृंगार बनूँ,
मैं केवल कोशिश करता हूँ तारों-सा टिम-टिम चमकूं ll 
 
मैं केवल कोशिश करता हूँ रवि की भांति निकलने की,
मैं केवल कोशिश करता हूँ  दूर तिमिर को  करने की।
मेरी  कोशिश  सदा  यही  कि, मैं सर्वत्र  प्रकाश  करूँ,
मैं केवल कोशिश करता हूँ जग को जगमित करने की ll 
 
मैं केवल कोशिश करता हूँ  सागर-सा   चलता  जाऊँ,
मैं केवल कोशिश करता हूँ निज पथ नित बढ़ता जाऊँ।
मेरी कोशिश सदा यही कि,सद्भाव पंथ पर  चला करूँ,
मैं केवल कोशिश करता हूँ निर्बल हित  लड़ता जाऊँ ll 
 
मैं केवल कोशिश करता हूँ मन्दिर में  नित जाने की,
मैं केवल कोशिश करता हूँ  यीशू  को  भी  गाने  की।
मेरी कोशिश सदा यही कि,प्यास बुझे जमजम जल से,
मैं केवल कोशिश करता हूँ गुरुग्रंथों  को  सुनाने  की ll 
 
मैं केवल कोशिश करता हूँ अम्बर-सा  विस्तार करूं,
मैं केवल कोशिश करता हूँ सबसे सुंदर व्यवहार करूं।
मेरी कोशिश सदा यही कि,मुझसे किसी को कष्ट न हो,
मैं केवल कोशिश करता हूँ नित नूतन  त्यौहार करूं ll  
 
मैं केवल कोशिश करता हूँ बहना घर की शान रहे,
मैं केवल कोशिश करता हूँ भाई  का सम्मान  रहे।
मेरी कोशिश सदा यही कि,हर घर ख़ुशी बधाई हो,
मैं केवल कोशिश करता हूँ राखी  का त्यौहार रहे ll 
                                                         #डी.एम. गुप्ता ‘प्रीत’
परिचय : डी.एम. गुप्ता ‘प्रीत’ मुम्बई में कलम्बोली में रहते हैं। २८  साल के प्रीत का पेशा-नौकरी(निजी) है। मुख्य रुप से श्रंगार विधा आपकी पसंद है। रस- वियोग(मुख्यतः) के साथ गीत,मुक्तक, नज्म इत्यादि रचते हैं। आपको मंच से कविता पढ़ने का अधिक शौक है।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।