मैं केवल कोशिश करता हूँ धर्म मार्ग पर चलने की,
मैं केवल कोशिश करता हूँ दुखियों के दुःख हरने की।
मेरी कोशिश सदा यही कि, मुझसे सकल जहां हँसे,
मैं केवल कोशिश करता हूँ रवि की भांति विचरने की ll
मैं केवल कोशिश करता हूँ नित्य नया कुछ कर जाऊं,
मैं केवल कोशिश करता हूँ धरती माँ को महकाऊँ।
मेरी कोशिश सदा यही कि,सत्य मार्ग पर चला करूं,
मैं केवल कोशिश करता हूँ अमन शांति चंहु दिश लाऊँll
मैं केवल कोशिश करता हूँ सब जन एक समान रहें,
मैं केवल कोशिश करता हूँ भारत माँ का मान रहे।
मेरी कोशिश सदा यही कि, सबको गले लगाऊँ मैं,
मैं केवल कोशिश करता हूँ जन-गण-मन का गान रहे ll
मैं केवल कोशिश करता हूँ प्रात खगों-सा हो चहकूं,
मैं केवल कोशिश करता हूँ सुमन गंध-सा हो गमकूँ।
मेरी कोशिश सदा यही कि, ओरों का श्रृंगार बनूँ,
मैं केवल कोशिश करता हूँ तारों-सा टिम-टिम चमकूं ll
मैं केवल कोशिश करता हूँ रवि की भांति निकलने की,
मैं केवल कोशिश करता हूँ दूर तिमिर को करने की।
मेरी कोशिश सदा यही कि, मैं सर्वत्र प्रकाश करूँ,
मैं केवल कोशिश करता हूँ जग को जगमित करने की ll
मैं केवल कोशिश करता हूँ सागर-सा चलता जाऊँ,
मैं केवल कोशिश करता हूँ निज पथ नित बढ़ता जाऊँ।
मेरी कोशिश सदा यही कि,सद्भाव पंथ पर चला करूँ,
मैं केवल कोशिश करता हूँ निर्बल हित लड़ता जाऊँ ll
मैं केवल कोशिश करता हूँ मन्दिर में नित जाने की,
मैं केवल कोशिश करता हूँ यीशू को भी गाने की।
मेरी कोशिश सदा यही कि,प्यास बुझे जमजम जल से,
मैं केवल कोशिश करता हूँ गुरुग्रंथों को सुनाने की ll
मैं केवल कोशिश करता हूँ अम्बर-सा विस्तार करूं,
मैं केवल कोशिश करता हूँ सबसे सुंदर व्यवहार करूं।
मेरी कोशिश सदा यही कि,मुझसे किसी को कष्ट न हो,
मैं केवल कोशिश करता हूँ नित नूतन त्यौहार करूं ll
मैं केवल कोशिश करता हूँ बहना घर की शान रहे,
मैं केवल कोशिश करता हूँ भाई का सम्मान रहे।
मेरी कोशिश सदा यही कि,हर घर ख़ुशी बधाई हो,
मैं केवल कोशिश करता हूँ राखी का त्यौहार रहे ll
#डी.एम. गुप्ता ‘प्रीत’
परिचय : डी.एम. गुप्ता ‘प्रीत’ मुम्बई में कलम्बोली में रहते हैं। २८ साल के प्रीत का पेशा-नौकरी(निजी) है। मुख्य रुप से श्रंगार विधा आपकी पसंद है। रस- वियोग(मुख्यतः) के साथ गीत,मुक्तक, नज्म इत्यादि रचते हैं। आपको मंच से कविता पढ़ने का अधिक शौक है।