मधुबन खुशबू देता है…

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vijay chouhan
पायल अब १८ की हो चली। जन्मदिन,शुभ दिन। इस पावन दिन पर हमेशा की तरह पिताजी की तरफ से कोई नायाब तोहफा दिया जाता रहा,लेकिन आज का तोहफा मेरे लिए यादगार बन गया।  दोपहर १२ बजे पिताजी ने कहा-`बेटा पायल,आज पूरा परिवार बड़े घर जाकर तुम्हारा जन्मदिन मनाएगा। जन्मदिन की ख़ुशी और  दोपहर का भोजन आज सबके साथ बड़े घर पर ही होगा।`
परिवार के सभी लोग सज-धज के दिव्यांग गृह पहुंचे,जहां छोटे-बड़े दिव्यांग बच्चे अपनी दुनिया में मस्त थे,भोजन की घंटी बजते ही सभी अपनी अपनी थाली-कटोरी,चम्मच लेकर भोजन कक्ष में जुटने लगे। पूरा परिवार बच्चों के बीच अपने को पाकर धन्य महसूस कर रहा था। सभी ने जन्मदिन पर आयोजित भोज की परोसगारी स्वयं अपने हाथों से की,दिव्यांग बच्चों को अपने हाथों से भोजन कराया। भोजन का एक-एक कण सुकून दे रहा था।  भोजन पश्चात सभी दिव्यांग बच्चों ने पायल के जन्मदिन पर स्वागत गीत बड़ी ही मधुरता से गाया-`बार-बार दिन ये आए…तू जिए हजारों साल…हैप्पी बर्थ डे टू यू…`l और अन्त में अपनी बात कुछ इस अंदाज में बयां की,जिससे हम सबकी आँखें नम हो गई।  अंतिम गीत था-`मधुबन खुशबू देता है,सागर सावन देता है…फूल बने या अंगारे…सच की राहों पर चलता चल…`। मधुर स्वर थमे और पायल-पीयूष  के साथ जीवन के अगले वर्ष की ओर बढ़ चलीl

#विजयसिंह चौहान

परिचय : विजयसिंह चौहान की जन्मतिथि  ५ दिसंबर १९७० और जन्मस्थान इन्दौर हैl आप वर्तमान में इन्दौर(मध्यप्रदेश)में बसे हुए हैंl इन्दौर शहर से ही आपने वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ विधि और पत्रकारिता विषय की पढ़ाई की हैl आपका  कार्यक्षेत्र इन्दौर ही हैl सामाजिक क्षेत्र में आप सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं,तो स्वतंत्र लेखन,सामाजिक जागरूकता,तथा संस्थाओं-वकालात के माध्यम से सेवा भी करते हैंl विधा-काव्य,व्यंग्य,लघुकथा व लेख हैl उपलब्धियां यही है कि,उच्च न्यायालय(इन्दौर) में अभिभाषक के रूप में सतत कार्य तथा स्वतंत्र पत्रकारिता में मगन हैंl 

matruadmin

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7 thoughts on “मधुबन खुशबू देता है…

  1. मन को छू गई विजय सिंह चौहान की लेखनी। अच्छी लगने का एक कारण शायद यह भी कि ऐसी पहल मैंभी कभीकभार करता रहता हूं। मातृभाषा.काम टीम को भी बधाई।

  2. शुक्रिया, जी आप देश के प्रख्यात पत्रकार
    साहित्यकार और बेहतर कवि ह्रदय है। आपके शुभाशीष मेरी अमूल्य निधि है।आपका दिल से आभार।

  3. सुंदर बहुत उम्दा प्रदर्शन

  4. RESPECTED SIR,
    THANK YOU VERY MUCH, YOU ARE THE ICON , YOU APPRECIATE MY ARTICLE ,THANKS A LOT

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