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कैसे करें भरोसा किस पर करें यकीं।
खुदगर्ज है जमाना खुदगर्ज है जमीं॥
प्यार की आशा छोड़ दे, न कर कभी यकीं।
यहाँ झूठी आस है और प्यार की है कमी॥
होंठो पर हँसी है,आंखों पर है नमी।
बाहर से वो है इंसान,पर अंदर से नहीं॥
पग-पग तो है धोखा,जज्बात न कहीं।
अहसास खो गए हैं झूठ पर जमीं थमी॥
आंखों पर झूठे सपने कोरी आस है।
आस भी ऐसी,न जिस पर खुद विश्वास है॥
भाव क्यों सूख गए,क्यों है इनकी कमी।
क्यों नफरत से भरी है ये दिल की जमीं॥
#आकांक्षा द्विवेदी
परिचय : आकांक्षा द्विवेदी की जन्मतिथि १६ अक्टूबर १९८६ है। आपकी शिक्षा स्नातकोत्तर और पेशे से शिक्षिका हैं। लेखन क्षेत्र में शीघ्र ही २ पुस्तक आने वाली हैं। कवियित्री आकांक्षा द्विवेदी का निवास बिंदकी जिला फतेहपुर में है।सामाजिक अव्यवस्था पर कविता के माध्यम से प्रहार करके सुधार लाना आपका उद्देश्य है।
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