परिचय : हेमा श्रीवास्तव ‘हेमा’ नाम से लिखने के अलावा प्रिय कार्य के रुप में अनाथ, गरीब व असहाय वर्ग की हरसंभव सेवा करती हैं। २७ वर्षीय हेमा का जन्म स्थान ग्राम खोचा( जिला इलाहाबाद) प्रयाग है। आप हिन्दी भाषा को कलम रुपी माध्यम बनाकर गद्य और पद्य विधा में लिखती हैं। गीत, ‘संस्मरण ‘निबंध’,लेख,कविता मुक्तक दोहा, रुबाई ‘ग़ज़ल’ और गीतिका रचती हैं। आपकी रचनाएं इलाहाबाद के स्थानीय अखबारों और ई-काव्य पत्रिकाओं में भी छपती हैं। एक सामूहिक काव्य-संग्रह में भी रचना प्रकाशन हुआ है।ई-पत्रिका की सह संपादिका होकर पुरस्कार व सम्मान भी प्राप्त किए हैं। इसमें सारस्वत सम्मान खास है। लेखन के साथ ही गायन व चित्रकला में भी रुचि है।
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कहाँ हो ये स्वामी, वसन बिनु कामी, कर रहे,। तुम्ही हो दीनों के, धरम धन रोके, शर लिए। दुखारी हूँ भारी, सरकि शिर सारी, सब गयी। बचाने को धावो, बिलम नहि लावो, सुरपते ।। शिखरनी को मैने ११,९,५ की यति पर पढा और लिखा है जबकी आप की लिखी शिखरनी इस यति विधान से भिन्न है। सादर निवेदनार्थ । “डाॅ0वी0पी0सिंह_भ्रमर, चित्रकूट (उ0प्र0)