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फुटपाथों पर नंगे बदन, कचरे बीनते नन्हें कदम दो पल की खुशी के जतन में, जब बिकती कोई बेटी नादान तब लगता है मरुं मैं,अथवा मारुं पीड़ा, दुःख गरीबी-भूख का कीड़ा। ये समाज की बंदिशें,ये लाचार से लोग, कब मिटेगी क्लान्ति इन धूमिल से चेहरों की, सामान्य,पिछड़ा,अति पिछड़ा, अल्पसंख्यक आदि […]

कुछ रोशनी के छींटे आए नजर उधर से। कोई गांव जल गया,लगता है एक पहर से॥ कुछ खुशबू भी है, सौंधी-सौंधी मिट्टी और राख की। उबला हो जैसे आलू,बटुए में हल्के-हल्के॥ अंगड़ाईयां है, लेती मेरे मन की यह दीवारें। शर्मा जाती है घासों की ये लम्बी कतारें॥ जब फूंकती हवा […]

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तुझसे कैसी लगी यह लगन नहीं है चैन। मैं नाचूं नित्य होकर के मगन श्याम रंग में। पनघट पे गागर भरकर छवि निहारुं। बैठी आँगन पहरों इन्तजार मैं नित्य करुं। सदा सुनाना सजा साज को तुम गीत नेह के। कब तक तेरी बाट मैं तकूँ आता है रोना। जुल्मी ,सांवरे […]

  खत वही फिर से……. आंखों को सराबोर करने वाला, पलकों को भारी करने वाला। मिला तुम्हारा खत फिर से॥ निचोड़ देती है कल्पनाएं, अपने अस्तित्व की कहानी। बेजुबान जिज्ञासा की बौखलाहट से, आत्मा अंदर ही अंदर दम तोड़ देती है। अंतर्द्वंद से घबरा उठता है तब मन, और उत्तर […]

दया नहीं हमें चाहिए, नहीं चर्चा दलों में चाहिए। देश को दिव्यांग बनाने वालों से वैशाखी हमें नहीं चाहिए ll छप्पन का सीना हम भी रखते हैं, हाथ के बल भी चल सकते हैं। किसी सहारे की जरुरत हमें नहीं है निजबल से ही यात्रा कर सकते हैं॥ विकलांग वित्त […]

कुछ दिन पूर्व ही पढ़ा था किसी अखबार के पन्ने पर कि-एक दंपत्ति की शादी के बाद लगातार तीन बेटियां हुई और इस बार पिता को डर लग रहा था कि कहीं फिर से उसको एक बेटी और न……. इसलिए पिता परीक्षण केन्द्र पहुंचा और पत्नी को डॉक्टर को दिखाता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।