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देश की मेरे सुबह अनोखी कितनी प्यारी शाम है।
हर रज कण चन्दन-सा पावन शोभा अमित ललाम है ll
यहाँ हिमालय गंगा-यमुना,
मुम्बई है चौपाटी है…
कण-कण में फैली हरियाली,
चन्दन जैसी माटी है।
साँझ सुहानी निशा सलोनी भोर बड़ी अभिराम है।
हर रज कण चन्दन-सा पावन शोभा अमित ललाम है ll
इस धरती को रोज सवेरे,
सूरज शीश झुकाता है…
त्रिविध समीरण गौरव गाथा,
इसकी निशि दिन गाता है।
कन्या रूप स्वयं देवी का हर बालक श्रीराम है।
हर रज कण चन्दन-सा पावन शोभा अमित ललाम है ll
धरा यही बैकुंठ धाम है,
मोक्ष यहीं जन पाता है…
यहीं जन्म लेता वह ईश्वर,
जो जग-जीवनदाता है।
जग कर्ता-धर्ता-भर्ता को सबने किया प्रणाम है।
हर रज कण चन्दन-सा पावन शोभा अमित ललाम है ll
धरती है मरकत मणि जैसी,
नीलम-सा आकाश है…
सागर चरण पखारे निशि दिन,
मणिमय मुखर उजास है।
षड ऋतुओं से सजी भूमि देती जग को विश्राम है।
हर रज कण चन्दन-सा पावन शोभा अमित ललाम है ll
#डॉ. रंजना वर्मा
परिचय : डॉ. रंजना वर्मा का जन्म १५ जनवरी १९५२ का है और आप फैज़ाबाद(उ.प्र.) के मुगलपुरा(हैदरगंज वार्ड) की मूल निवासी हैंl आप वर्तमान में पूना के हिन्जेवाड़ी स्थित मरुंजी विलेज( महाराष्ट्र)में आसीन हैंl आप लेखन में नवगीत अधिक रचती हैंl
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