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तीन यात्री बस से सफर कर रहे थे । तीनों अलग – अलग राज्य के निवासी थे । बैठे – बैठे दो यात्रियों में बातें होने लगी ।
” भाई मुझे न, बिहार वासी बिल्कुल नहीं भाते हैं । एक तो उनका अक्खड़ स्वभाव , बात-बात में डिंग हाँकने की आदत , और वहाँ की औरतों का लम्बा घूंघट निकाल कर चलना ….बाप रे बाप ! उनसे दूर ही रहना अच्छा ।” पहले यात्री ने बिहार राज्य के प्रति अपना नजरिया पेश किया तो तो दूसरे यात्री ने भी अपनी बात रखी । “हाँ भाई, पर उससे खराब तो छत्तीसगढ़ राज्य है , चारों तरफ जंगल ही जंगल । वहाँ की भाषा तो और भी अजीब है, कुछ समझ में नहीं आती । वहाँ के लोग चावल ही ज्यादा खाते हैं , जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं। मैं तो कभी न जाऊँ वहाँ । तीसरे सज्जन जो अबतक, उन दोनों की बातें चुपचाप सुन रहे थे , अचानक बोल पड़े – “आप लोग शायद सही कह रहे हैं पर मैं तो किसी राज्य में नहीं… देश में रहता हूँ । हरे – भरे खेत , ऊँचे – ऊँचे पर्वत , कलकल बहती नदियाँ , अनेक मीठी भाषाएँ और विभिन्न वेशभूषा वाले प्यारे – निराले अपने भारत देश में । और इसे छोड़कर कहीं और जाने की तो कल्पना भी नहीं कर सकता ।
श्रीमती गीता द्विवेदी
सिंगचौरा(छत्तीसगढ़)
मैं गीता द्विवेदी प्रथमिक शाला की शिक्षिका हूँ । स्व अनुभूति से अंतःकरण में अंकुरित साहित्यिक भाव पल्वित और पुष्पीत होकर कविता के रुप में आपके समक्ष प्रस्तुत है । मैं इस विषय में अज्ञानी हूँ रचना लेखक हिन्दी साहित्यिक के माध्यम से राष्ट्र सेवा का काम करना मेरा पसंदीदा कार्य है । मै तीन सौ से अधिक रचना कविता , लगभग 20 कहानियां , 100 मुक्तक ,हाईकु आदि लिख चुकी हूं । स्थानीय समाचार पत्र और कुछ ई-पत्रिका में भी रचना प्रकाशित हुआ है ।
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