आज भी रोज की तरह सुप्रिया काम कर रही है। बाहर बारिश हो रही है और अब उसके पढ़े-लिखे पति यानी श्री वर्मा की पीएचडी के कारण उम्र निकल जाने से एक निम्न घर की लड़की सुप्रिया(खुद)से विवाह होता है। वो हर रोज सुप्रिया को ताना मारते हैं और खुद को बड़ा साबित करते हुए सुप्रिया को निचा दिखाते हैं। आज भी वो अपने आप को रोक नहीं पाए और सुप्रिया को सुनाने का काम करते हैं। तब सुप्रिया तत्काल कहती है कि, आज बहुत हिचक रहे हैं। जैसे मुझे आज का दिन याद है,वैसे आपको भी हैं न ? क्यों यह सच है?
श्री वर्मा-हम्म,मुझे याद है।
सुप्रिया-तो कुछ करते क्यों नहीं ?
ये खिड़कियों से रिमझिम बरसती बारिश की बूँदें देख रहे हो ? ये हर बार आती हैं और पूछती है, उनकी सहेली कहाँ है?
श्री वर्मा-मैं क्या कर सकता हूँ ?
सुप्रिया-आप क्या नहीं कर सकते? मैं पढ़ी-लिखी नही हूं,आप तो लोगों को अपने हक के लिए लड़ने का कहते हैं और आप ही क्यों? आपको बड़ा घमंड है न अपनी पढ़ाई का,तो उस दिन आपकी पढ़ाई कहाँ गई थी! जब पहली बार आपने मेरी बेटी को उनके पास नौकरी के लिए भेजा था.. और वो घबरा के सहमी-सी आई थी। वो खिला हुआ फूल हुआ करती थी,अब मुरझा-सी गई है। मैं गई थी बेल्ट लेकर उस नीच को सजा देने,पर अपने मेरा साथ नहीं दिया और मुझे ले आए।
पति-अगर मैं कुछ करता तो, इसमें निशा की ही बदनामी होती और तुम तो इस समाज को जानती हो। उसकी शादी नहीं हो पाती।
सुप्रिया-क्या अब उसकी शादी हो सकती है! ये जो बारिश की बूँदें हैं और निशा जो आज जिन्दा लाश है, उसके आंसू की बूँदें पोंछते हम एक- दूसरे के साथ खेल क्यों नहीं रहे हैं।
मेरे पास जवाब नहीं हैं,क्या आपके पास जवाब है ? समाज के डर के कारण आपने बेटी को इंसाफ नहीं दिलाया। यही दिन था न,जब आप मुझे जिद करके मार्किट ले गए थे।मुझे लग रहा था कुछ गलत होने को है। जब हम लिफ्ट के पास पहुँचे तो, वो पापी दिखा। तब भी आपने कुछ नहीं कहा, और हम घर आए तो मेरी बेटी मौत के मुँह में झूल रही थी।
पति-हाँ मानता हूँ,मुझे कुछ करना था पर बदनामी की निशा की होती। आज भी उसका इलाज उसी के पैसों से हो रहा है।
सुप्रिया-बदनामी के डर से इज्जत खो बैठें ? ऐसे ज़िंदा रहने से तो निशा को मैं मार दूँ।
जब तक आप निशा के लिए लड़ते नहीं,तब तक निशा के मरने की दुआ करुँगी। ऐसी ज़िंदा लाश रहने से तो उसका मरना अच्छा…।
सबकुछ समझने और काफी पढ़े होने वाले श्री वर्मा ऐसे चुप हो गए थे,मानो जिंदगी की ये समझ उन्हें किसी शिक्षक से मिली ही नहीं हो…।
#नेहा लिम्बोदिया
परिचय : इंदौर निवासी नेहा लिम्बोदिया की शिक्षा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में हुई है और ये शौक से लम्बे समय से लेखन में लगी हैं। कविताएँ लिखना इनका हुनर है,इसलिए जनवादी लेखक संघ से जुड़कर सचिव की जिम्मेदारी निभा रही हैं। इनकी अभिनय में विशेष रुचि है तो,थिएटर भी करती रहती हैं।
Nice story heart touching good job
बहुत खूब। आजकल एैसे पढे लिखे कायर बहुतायत में पाए जाते हैं।
लिखते रहिये।
साधुुवाद।