वो लम्हें बीते हए क्यों मुझे याद आए,
कुछ सुहानी हसीन यादें मन को महकाए l
वो ख्वाब सतरंगी जो देखते थे हम कभी,
उन यादों संग आज हम फिर गुनगुनाए l
वो लम्हें बीते हुए क्यों मुझे…ll
वो बारिसों का पानी और कितनी ही मस्तियाँ,
सखियों संग मिल के जब पकड़ते थे तितलियाँ l
सावन के झूलों पर झूलने को लड़ना-झगड़ना,
नादिया किनारे बैठ जाने कितने सपने सजाए l
वो लम्हें बीते हुए क्यों मुझे…ll
वो आँखों-ही-आँखों में यूँ प्रेम का पनपना,
बिन बोले ही रूठना और फिर मान जाना l
चाहतों का वो सफर जिसका नहीं ठिकाना,
सोचकर मेरा आज फिर से गुनगुनाए l
वो लम्हें बीते हुए क्यों मुझे…ll
रातरानी की खुशबू का साँसों में महकना,
वो आईने के सामने ख़ुद ही से बातें करना l
उन चाँदनी-सी रातों में तारों संग जगना,
सोच उन बातों को हम मन-ही-मन मुस्काए l
वो लम्हें बीते हुए क्यों मुझे याद आए…ll
#रश्मि ठाकुर
परिचय: रश्मि ठाकुर को कविताएँ लिखने का शौक है l आप मध्यप्रदेश के दमोह जिले के खमरिया(बिजौरा) ती हैंमें रह l