श्रीकृष्ण

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रोहिणी नक्षत्र की अष्टमी में
भगवान धरा पर आए थे
कारागार में जन्म लिया था
दुष्ट कंस भयभीत हुआ था
गोकुल में बाल लीलाए दिखाई
माखन चोरी की, डांट भी खाई
बांसुरी से अपनी सबको रिझाया
तारणहार का उसने फ़र्ज निभाया
मां देवकी का जांया था वह
यशोदा का दुलारा था वह
ग्वाले से द्वारकाधीश बना था
सोलहकला विश्वजीत बना था
जन्माष्टमी खुशी से मनाते है
पालने में कान्हा को झुलाते है।
#श्रीगोपाल नारसन

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सोशल मीडिया पर आजादी का जश्न

Tue Aug 11 , 2020
स्वतंत्रता दिवस के दिन मेरा वाट्सएप शुभकामनाओं से अटा पड़ा था। हर शख्स स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं ऐसे बांट रहा था जैसे वह किसी खुशी में राबड़ी बांट रहा हो। मैं सभी के शुभकामनाओं का जवाब भी दिनभर देता रहा। छुट्टी का दिन था इसलिए कोई कामकाज तो था नहीं। […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।