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माता-पिता है प्रथम गुरु,
जिनसे होता जीवन शुरू।
ज्ञान,ध्यान की साधना से,
जीवन को संवारते हैं गुरु॥
ज्ञान-कौशल को तराशकर,
शिखर पर पहुँचाते हैं गुरु।
सदा सही राह पर चलना,
सिखलाते हैं धरा पर गुरु॥
पूर्णिमा के चांद की तरह,
शीतलता बिखेरते हैं गुरु।
चलेगा जनजीवन सुचारु,
पूजेंगें जब हम अपने गुरु॥
#गोपाल कौशल
परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।
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