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बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है हमारे देश के सभी प्रांतों में पुलिस की। हमारे यहां पुलिस वालों को नेताओं ने अपने स्वार्थ साधने का साधन बना लिया है। मामला चाहे कोई भी हो,प्रशासन वही करता है जिसमें नेताजी का हित निहित हित हो। अन्यथा की स्थिति में पुलिस वाले को इन भ्रष्ट माननीयों के कोपभाजन का शिकार बनना पड़ता है,और नेताजी के नाराज हो जाने पर क्या हो सकता है, हम सब जानते हैं। उनकी पदोन्नति रुक सकती है,तबादला हो सकता है और तो और उन्हें भ्रष्ट बताकर उनकी वर्दी भी उतरवाई जा सकती है। फलस्वरूप पुलिस वाले नेताजी की चाटुकारिता करते-करते खुद भी भ्रष्ट हो जाते हैं।उनके चरित्र में भ्रष्टाचार को अनिवार्य रूप से शामिल करने में हमारी भी उतनी ही भागीदारी होती है, जितनी माननीयों की।
जैसे ही कोई मामला थाने में जाता है,तो हम यह जानते हुए भी कि हम निर्दोष हैं,हम किसी नेता या किसी अन्य चर्चित व्यक्ति के पास जाते हैं। उनसे निवेदन करते हैं कि,वह हमारे निर्दोष होने का प्रमाण-पत्र जारी करें। ऐसा होने पर हम उनके लिए कुछ भी करने का भरोसा देते हैं। जब हमारी गलती होती है तब हम नेताओं और पुलिस वालों को पैसों का प्रलोभन देते हैं। भ्रष्ट तो चाहें जो कोई भी हो,लेकिन भ्रष्टाचार के कार्न आप और हम भी हैं। थोड़ी-सी परेशानी से बचने के लिए हम लोग भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं और वही भ्रष्टाचार जब व्यापक हो जाता है तो हम लोग उसके खिलाफ आवाज उठाना शुरु करते हैं।अगर हम चाहते हैं कि,पुलिस का रवैया बदले तो सबसे पहले हमें अपने-आप को बदलना होगा।
#अनुपम तिवारी ‘मन्टू’
परिचय:सामाजिक कार्यकर्ता वाली पहचान अनुपम तिवारी ‘मन्टू’ ने बनाई हैl इनकी शिक्षा बी.कॉम. हैl उत्तरप्रदेश के देवरिया जिला के भठवां तिवारी गांव के निवासी हैंl यह शौकिया लेखन करते हुए जब भी समय मिलता है तो कुछ प्रेरक और निष्पक्ष लिखने की कोशिश करते हैं ताकि,युवा साथियों को सही-गलत का निर्णय करने में सहयोग मिल सकेl
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Sat Jul 1 , 2017
कई बार, हमने मारा है खुद को जब बचपन में मेरा बड़ा भाई अपने बड़प्पन की धौंस जमाकर मेरी इच्छा के विरुद्ध मुझसे काम करवाता था, या फिर मेरा छोटा भाई माँ-पिता का सहारा ले जिद कर,मुझसे- मेरा हक भी छीन ले जाता थाl स्कूल में, उद्दंड लड़के मेरी शराफतों […]