चिर विजय की कामना ही,
राष्ट्र का आधार है..
निहित जिसमें राष्ट्र पोषक,
भावना साकार है।
आत्म गरिमा युक्त हो,
राष्ट्र जीवन का मनन..
संगठन की शक्ति हो, केन्द्र दर्पण जन-मन।
त्याग कर हम शेष जीवन की,
सुसंचित कामनाएं..
ध्येय के अनुरूप जीवन हम,
सभी अपना बनाएं।
जागते यह भाव लें जब, सुप्त मानव प्राण हैं..
भागते हैं हारकर तब, दुष्ट दानव त्राण है।
आज तन-मन और जीवन धन,
सभी कुछ हो समर्पण..
राष्ट्र हित की साधना में हम,
करें सर्वस्व अर्पण।
#निशा गुप्ता
परिचय : श्रीमती निशा गुप्ता का जन्म 1963 में उत्तर प्रदेश के रामपुर में हुआ है। आपके पति एल.पी. गुप्ता के व्यवसाय की वजह से आपका कर्म स्थान तिनसुकिया(असम) ही है,वैसे आपका मध्यप्रदेश से भी रिश्ता है। आपने एम.ए( हिन्दी,समाजशास्त्र व दर्शनशास्त्र) के साथ ही बी.एड (रूहेलखंड यूनिवर्सिटी,बरेली) भी किया है। आप वरिष्ठ अध्यापिका के रुप में विवेकानंद केन्द्र विद्यालय (लाईपुली, तिनसुकिया) में कार्यरत होकर शिक्षण कार्य में 30 वर्ष से हैं। लेखन का आपको लगभग 30 वर्ष का अनुभव सभी विधाओं में है। आपके 6 काव्य संग्रह(भाव गुल्म,शब्दों का आईना,आगाज,जुनून आदि) के साथ ही 14 पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। काव्य संग्रह ‘मुक्त हृदय’ का संपादन भी किया है। 2 बाल उपन्यास (जादूगरनी हलकारा और जादुई शीश महल ),1 शिशु गीत,कहानी संग्रह ‘पगली’,दो सांझा काव्य संग्रह(‘काव्य अमृत’,’पुष्प गंधा’) भी आपके नाम हैं। 1992 से विवेकानंद केन्द्र (कन्याकुमारी) से समाजसेवा के काम में भी जुड़ी हैं। मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से आपको शिक्षा मंत्री स्मृति इरानी द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में प्रोत्साहन प्रमाण-पत्र से सम्मानित किया गया था। आप नारायणी साहित्य अकादमी की राष्ट्रीय सचिव, आगमन साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्था की असम प्रभारी और राष्ट्रीय स्तर के एनजीओ की असम राज्य की चेयरमैन भी हैं। रामपुर,डिब्रुगढ़ तथा दिल्ली आकाशवाणी से आपके कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। देशभर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं, लेख व कहानियां प्रकाशित होती हैं।आपको वैश्विक साहित्यिक व सांस्कृतिक महोत्सव(इंडोनेशिया और मलेशिया) में ‘साहित्य वैभव अवार्ड’ और दिल्ली से ‘काव्य अमृत’ भी मिला है।