श्रेष्ठ मजदूर

0 0
Read Time4 Minute, 21 Second
monika
मैंने कभी नही सुना कि,अमेरिका में  बोर्ड परीक्षा के परिणाम आ रहे हैं,या यूके में लड़कियों ने बाजी मार ली है या आस्ट्रेलिया में ९९.५ प्रतिशत आए हैं किसी छात्र के…।
मई-जून के महीने में हिन्दुस्तान में मानसून के साथ-साथ हर घर में दस्तक देती है एक उत्तेजना,एक जिज्ञासा,एक भय,एक मानसिक विकृति…हर माँ-बाप,हर बोर्ड की परीक्षा में बैठा बच्चा हर बीतते हुए पल को एक तनाव, एक असुरक्षा में काट रहा होता है कि,क्या होगा ??
मानसून दुनिया में सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप की निशानी है..पर असुरक्षा और मानसिक अवसाद का प्राविण्य सूची वाला ये नया मानसून देश के हर हिस्से में तनाव और अवसाद की बारिश करने में काफ़ी असरदार हो चुका है।
    माँ-बाप फ़सल की तरह बच्चों को पाल रहे हैं कि,कब फ़सल पके,कब उनकी अधूरी रह चुकी अकाँक्षाएं पूरी होंगी,कब वे फ़सल काटेंगे..।!
     वे या उनके सपने बच्चों की जिंदगी को सिखा नहीं  रहे…हमारे पूंजीवादी निवेशकों को क्या उत्पाद चाहिए, इस हिसाब से शिक्षा और उसके उद्देश्य तय हो रहे हैं। एक परिवार का सुख-चैन,त्याग..दिन-रात खल के संघर्षों और परिश्रम में गुज़र जाता है। उस परिवार का अपना अस्तित्व और सुख-चैन तथा मानवीय भावनाएं इसलिए भेंट चढ जाती है,क्योंकि टीसीएस को एक बेहतरीन सॉफ्टवेयर डेवलपर चाहिए..या मेकेन्से को श्रेष्ठ दिमाग चाहिए…या रिलायन्स को बेहतरीन गेम डिजाइननर चाहिए।
हमारी शिक्षा व्यवस्था व उसके आदर्श कहाँ रह गए ?
हमारे स्कूल देश के श्रेष्ठ नागरिक नहीं,देश के श्रेष्ठ मजदूर बनाने में दिन-रात एक करके जुटे हुए हैं। और साथ में  माँ-बाप भी जो,जो बच्चों को बच्चा नहीं,एक यांत्रिक उपकरण बनाने को प्रतिज्ञाबद्ध हो जाते  हैं।
बच्चों को जीने दो,दुनिया खत्म नहीं होने जा रही है।
उन्हें श्रेष्ठ कर्मचारी नहीं,श्रेष्ठ नागरिक बनाने में यकीन रखें  तो बेहतर है,पर इस भेड़ चाल में सब कूद पड़े हैं।
बचपन की भी खुद से कुछ अपेक्षाऐ होती हैं। अपने निस्वार्थ स्वप्न होते हैं। बच्चों के लिए वो जन्नत से कम नहीं,इसलिए कृपया बच्चों की दुनिया मत उजाड़ो…कृपया,उन्हें मनोरोगी मत बनाओ। उनका बचपन मत छीनो।
क्या ..ये एक मानसिक रुग्णता नहीं? उच्चता की खबरें,उन्हें मिठाई खिलाते माँ-बाप की तस्वीरें..क्या ये एक आम सामान्य स्तर के बच्चों को मानसिक हीनता की अनुभूति नहीं देंगे? अरे उच्च क्रम पर तो दो-चार होंगे, बाकी देश का बोझ तो ९९ प्रतिशत इन्हीं फूल से कोमल सामान्य बच्चों ने ही उठाना है।
  भले ही हम टाटा,रिलायंस एल एण्ड टी,मारुति ,मेकेन्से आदि के लिए मजदूर तैयार कर रहे हों.पर जो बचपन की रिक्तता हमने आरोपित कर दी है,वो उन्हे जीवनभर खलेगी और मानवीय विकृतियों के रुप में फलेगी।आपको बढ़िया मुख्य कार्यपालन अधिकारी तो मिल ही जाएंगे,जिनकी प्राथमिकता उनकी कंपनी होगी ,देश नहीं। एक बार सोचकर अवश्य देखिए।
                                                                                     #मोनिका अग्रवाल
परिचय : मोनिका अग्रवाल  मुरादाबाद में निवास करती हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

शिक्षा

Fri Jun 30 , 2017
अरे नादान  तुम क्या जानो क्या है शिक्षा, और क्या उसकी है   परिभाषा । जीवन का आधार है शिक्षा मानवता का भाव भी शिक्षा, गहरे घाव पर मरहम तो रेगिस्तान में छाँव भी शिक्षा, राष्ट्र प्रेम का भाव है तो राष्ट्रभक्त का स्वाभिमान भी शिक्षा। शिक्षा की है बात […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।