जाने कितने चेहरे छुपाती हूं… पल पल यूं ही मुस्कुराती हूं.. आधी दुनिया कहते मुझे…. फिर भी आधा ही क्यो.. पाती हूं….?? आधी ही ख्वाहिशें….. अधूरे से अरमान… आधे ही…सपने…अधूरा आसमान….. कहते हो तुम दिया तुम्हे पूर्ण अधिकार… जीने…का…यापन का…. पर क्या दे सकें मुझे… सार्वभौमिकता ..का सम्मान… क्यों होते […]