वतन

6
0 0
Read Time1 Minute, 53 Second
vijaykant
आज  वतन है  खतरे में,
वीरों निकलो सीना तान।
देखो पाक-नापाक हरकत,
छद्म युद्ध दिया है  ठान॥
चाहे पठानकोट की हो घटना,
चाहे मुम्बई  की आतंकी दौर।
नित शहीद हो रहे सीमा पर,
नेतागण करते भाषण दौर॥
विवश ‘अजा’-सी मरते देख,
कर पाते न शाश्वत प्रतिकार।
जिससे फिर देखने का साहस,
रिपु करे न फिर बारम्बार॥
विष द्रोह का लेकर जन्मा,
वह कब अपना  हो सकता ?
साधु बिच्छू को रहे बचाते,
वह हर बार उन्हें  डसता॥
पाकिस्तान बनाता हरदम,
सरहद पर आतंक व्यूह।
हाफ़िज सईद है सरगना,
छुपा बैठा है घर में मुँह॥
पाकिस्तान की सुरक्षा में है,
दिया झूठ हिरासत का नाम।
सुरक्षित रखा ओसामा लादेन जैसे,
लेता रहा अमेरिकी  अनुदान॥
गद्दारों की यहाँ कमी नहीं है,
हैं कई कन्हैया  भरे  हुए।
पाकिस्तान की जय करते,
हैं यहाँ मौज से पड़े हुए॥
सीमा पर हैं सैनिक  मरते,
पर सियासत करती दिल्ली।
वाम-विपक्ष जहाँ मिलकर,
उड़ाते जमकर खिल्ली॥
बुद्धिजीवी स्वार्थ-विविर में,
ऐसे हैं  जमकर  सोए।
मानो देश नहीं इनका,
होने दो जो कुछ होए॥
ऐसे ही घुस आए विदेशी,
अब्दाली,तैमूर,अंग्रेज़ यहाँ।
अनमनस्क ही रहा युवा तब,
जाएगा यह देश  कहाँ ?
आज वतन पर खतरा है भाई,
सब सावधान हो जाओ तुम।
खूब गिराओ अभी पसीना,
ताकि न गिरे भाई का खून॥
                                                                                    #विजयकान्त द्विवेदी

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

6 thoughts on “वतन

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति दादा ।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

ये हवाएँ कुछ कहती हैं..

Tue Jun 27 , 2017
पहले जल-सी शीतल थी, अब आग के जैसे दहकती है.. सुनो इनकी आवाजों को, ये हवाएँ भी कुछ कहती हैं। पहले इनसे राहत थी, अब यही तकलीफ देती है… इसमें इनका कोई दोष नहीं, हम इंसानों की ही गलती है… सुनो इनके दर्द को, ये हवाएँ कुछ कहती हैं। ये […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।