प्रकृति की खूबसूरती यानि वेनाड की वादियां

0 0
Read Time5 Minute, 10 Second
devendr-joshi-300x196
केरल की खूबसूरत  जगहों  में  से एक वेनाड की यात्रा  करना  जीवन  के हसीन पलों को अपनी स्मृति  में  संजो लेने  से कम नहीं है। समूचा वेनाड  जिला यूँ  तो सुरम्य प्रकृति,हरीतिमा,घने जंगल और जंगली जीवन का उन्मुक्त  नजारा  है,लेकिन अपनी गाड़ी  में  अपने पसंदीदा दल के साथ अगर आप इस खूबसूरती  को निहारते  हुए पल- पल आगे बढ़ रहे  हों तो एक क्षण को ऐसा लगता है,मानो हम धरती पर नहीं  प्रकृति,झील,झरनों की ऊंची-नीची घाटियों वाली एक अलग ही दुनिया  में  पहुंच  गए  हों। एडक्कल  गुफाएँ, मीनमुठ्ठी,झरने,पुकुट झील ही नहीं, वेनाड  का चप्पा-चप्पा  प्रकृति  की खूबसूरती से सराबोर होने का संकेत देता है। यहाँ आकर हम अपने-आपको ही भूल जाते हैं। कहाँ  से चले थे और कहाँ  तक अभी जाना है,कुछ याद नहीं रहता है। हम एक अलग ही दुनिया  में खो जाते हैं।  वेनाड  की इस खूबसूरती को बारिश का साथ मिल जाए तो ये इसके नैसर्गिक  सौन्दर्य में चार चाँद लगा जाते हैं। मौसम  की पहली बारिश  के बाद  पेड़-पौधों  पर जमी धूल मिट्टी  जब बरसात  के पानी में  पूरी तरह बह  निकली  है,तब ये नहाए-धोए,ताजे तरीन पेड़-पौधे  ठीक वैसे ही प्रतीत होते हैं, जैसे स्वर्ग  की कोई अप्सरा हरीतिमा  की चादर ओढ़कर अभी-अभी बरसात  में  भीगकर अल्हड़-अलबेली अदाओं  के साथ वेनाड  की हरी-भरी वादियों  से  होकर गुजरी हो। ऊंची-ऊंची पहाड़ियों ,नारियल  तथा केले के खूबसूरत  वृक्षों  के बीच से झांकती इस सुरम्य  प्रकृति  की हिफाजत  में  यहाँ  के आदिवासी  समुदाय  और वन विभाग  का योगदान  भुलाया  नहीं  जा सकता है। समूचा वेनाड  पहाड़ियों,झरनों और पुरातात्विक धरोहर का सुन्दर संयोग है। यहाँ  के लोगों  की सहजता,सरलता और सादगी को देखकर लगता है कि,इतनी उन्मुक्त प्रकृति  को सहेज  कर इतने साफ दिल वाले ही  रख सकते हैं। हाथों  में  गजरा और बालों  में  वेणी धारण की हुई केरल कन्याओं के प्रकृति प्रेम को देखकर सहज अहसास हो जाता है कि,इतनी सुन्दर प्रकृति का निवास वहीं  हो सकता है,जहाँ  प्रकृति से अटूट प्रेम करने वाला मन भी बसता हो।
वेनाड खूबसूरत पहाड़ियों,ऊष्ण कटिबन्धीय और खूबसूरत वनस्पतियों का घना जंगल होने के साथ ही परम्परा और आधुनिकता का भी संगम है। यहाँ घने जंगल के बीच  सर्वसुविधा युक्त रिसार्ट और गेस्ट  हाउस  शहर के थके हुए और सीमेंट-कांक्रीट  के जंगल  से ऊब चुके  पर्यटकों  को सुकून-शांति बदलाव और अपनेपन  का अहसास देने के  लिए  पर्याप्त  है।
यह संयोग  ही था कि,अपनी  केरल यात्रा  के पहले पड़ाव  पर जब हम शनिवार  शाम वेनाड  पहुंचे, तो मानसून की बरसात हमारे स्वागत को तैयार खड़ी थी। ठंडी हवा,झमाझम बारिश के बीच होटल में  डेरा डालने के अलावा हमारे सामने कोई विकल्प शेष नहीं था। अगली सुबह जब वेनाड की सैर पर निकले,तो जो नजारा आंखों ने देखा और मन ने महसूस किया,उसे शब्दों  में बयान करने के लिए मेरे पास शब्द शेष नहीं बचे थे। वेनाड की हरी-भरी वादियों,खूबसूरत पहाड़ियों और हरियाली वाली उन्मुक्त प्रकृति को पीछे छोड़कर हम अगले पड़ाव की ओर प्रस्थान कर चुके हैं,लेकिन मन की आंखों में कैद वे पल अब भी अपने होने का अहसास करा रहे हैं। जिन्दगी  में यदि अवसर मिले तो,केरल की इस कारीगरी से होकर अवश्य गुजरना चाहिए। हो सकता है ये आपकी जिन्दगी के यादगार पलों में शुमार हो जाए।

                                                                           #डॉ. देवेन्द्र  जोशी

परिचय : डाॅ.देवेन्द्र जोशी गत 38 वर्षों से हिन्दी पत्रकार के साथ ही कविता, लेख,व्यंग्य और रिपोर्ताज आदि लिखने में सक्रिय हैं। कुछ पुस्तकें भी प्रकाशित हुई है। लोकप्रिय हिन्दी लेखन इनका प्रिय शौक है। आप उज्जैन(मध्यप्रदेश ) में रहते हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

प्रभु मारुति

Thu Jun 15 , 2017
तन-मन,चिंतन कर दिया, तुम्हें समर्पित राम। फिर अपनाते  क्यों  नहीं, राघव करुणाधाम?॥ प्रभु मारुति !अब कीजिए, मर्मान्तक आघात। अहंकार   करने   लगा, फिर मन में उत्पात॥                                               […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।