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केरल की खूबसूरत जगहों में से एक वेनाड की यात्रा करना जीवन के हसीन पलों को अपनी स्मृति में संजो लेने से कम नहीं है। समूचा वेनाड जिला यूँ तो सुरम्य प्रकृति,हरीतिमा,घने जंगल और जंगली जीवन का उन्मुक्त नजारा है,लेकिन अपनी गाड़ी में अपने पसंदीदा दल के साथ अगर आप इस खूबसूरती को निहारते हुए पल- पल आगे बढ़ रहे हों तो एक क्षण को ऐसा लगता है,मानो हम धरती पर नहीं प्रकृति,झील,झरनों की ऊंची-नीची घाटियों वाली एक अलग ही दुनिया में पहुंच गए हों। एडक्कल गुफाएँ, मीनमुठ्ठी,झरने,पुकुट झील ही नहीं, वेनाड का चप्पा-चप्पा प्रकृति की खूबसूरती से सराबोर होने का संकेत देता है। यहाँ आकर हम अपने-आपको ही भूल जाते हैं। कहाँ से चले थे और कहाँ तक अभी जाना है,कुछ याद नहीं रहता है। हम एक अलग ही दुनिया में खो जाते हैं। वेनाड की इस खूबसूरती को बारिश का साथ मिल जाए तो ये इसके नैसर्गिक सौन्दर्य में चार चाँद लगा जाते हैं। मौसम की पहली बारिश के बाद पेड़-पौधों पर जमी धूल मिट्टी जब बरसात के पानी में पूरी तरह बह निकली है,तब ये नहाए-धोए,ताजे तरीन पेड़-पौधे ठीक वैसे ही प्रतीत होते हैं, जैसे स्वर्ग की कोई अप्सरा हरीतिमा की चादर ओढ़कर अभी-अभी बरसात में भीगकर अल्हड़-अलबेली अदाओं के साथ वेनाड की हरी-भरी वादियों से होकर गुजरी हो। ऊंची-ऊंची पहाड़ियों ,नारियल तथा केले के खूबसूरत वृक्षों के बीच से झांकती इस सुरम्य प्रकृति की हिफाजत में यहाँ के आदिवासी समुदाय और वन विभाग का योगदान भुलाया नहीं जा सकता है। समूचा वेनाड पहाड़ियों,झरनों और पुरातात्विक धरोहर का सुन्दर संयोग है। यहाँ के लोगों की सहजता,सरलता और सादगी को देखकर लगता है कि,इतनी उन्मुक्त प्रकृति को सहेज कर इतने साफ दिल वाले ही रख सकते हैं। हाथों में गजरा और बालों में वेणी धारण की हुई केरल कन्याओं के प्रकृति प्रेम को देखकर सहज अहसास हो जाता है कि,इतनी सुन्दर प्रकृति का निवास वहीं हो सकता है,जहाँ प्रकृति से अटूट प्रेम करने वाला मन भी बसता हो।
वेनाड खूबसूरत पहाड़ियों,ऊष्ण कटिबन्धीय और खूबसूरत वनस्पतियों का घना जंगल होने के साथ ही परम्परा और आधुनिकता का भी संगम है। यहाँ घने जंगल के बीच सर्वसुविधा युक्त रिसार्ट और गेस्ट हाउस शहर के थके हुए और सीमेंट-कांक्रीट के जंगल से ऊब चुके पर्यटकों को सुकून-शांति बदलाव और अपनेपन का अहसास देने के लिए पर्याप्त है।
यह संयोग ही था कि,अपनी केरल यात्रा के पहले पड़ाव पर जब हम शनिवार शाम वेनाड पहुंचे, तो मानसून की बरसात हमारे स्वागत को तैयार खड़ी थी। ठंडी हवा,झमाझम बारिश के बीच होटल में डेरा डालने के अलावा हमारे सामने कोई विकल्प शेष नहीं था। अगली सुबह जब वेनाड की सैर पर निकले,तो जो नजारा आंखों ने देखा और मन ने महसूस किया,उसे शब्दों में बयान करने के लिए मेरे पास शब्द शेष नहीं बचे थे। वेनाड की हरी-भरी वादियों,खूबसूरत पहाड़ियों और हरियाली वाली उन्मुक्त प्रकृति को पीछे छोड़कर हम अगले पड़ाव की ओर प्रस्थान कर चुके हैं,लेकिन मन की आंखों में कैद वे पल अब भी अपने होने का अहसास करा रहे हैं। जिन्दगी में यदि अवसर मिले तो,केरल की इस कारीगरी से होकर अवश्य गुजरना चाहिए। हो सकता है ये आपकी जिन्दगी के यादगार पलों में शुमार हो जाए।
#डॉ. देवेन्द्र जोशी
परिचय : डाॅ.देवेन्द्र जोशी गत 38 वर्षों से हिन्दी पत्रकार के साथ ही कविता, लेख,व्यंग्य और रिपोर्ताज आदि लिखने में सक्रिय हैं। कुछ पुस्तकें भी प्रकाशित हुई है। लोकप्रिय हिन्दी लेखन इनका प्रिय शौक है। आप उज्जैन(मध्यप्रदेश ) में रहते हैं।
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