सबसे कमजोर ‘ट्यूबलाइट'(समीक्षा)

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edris
सलमान की पिछली 11 फिल्मों में सबसे कमजोर फ़िल्म ‘ट्यूबलाइट’ है,जो शुरु होती है कुमाऊँ के जगतपुर इलाके से,जहां लक्ष्मणसिंह बिष्ट(सलमान खान ) अपने छोटे भाई भरत(सोहैल खान) के साथ रहता है,क्योंकि दोनों के माता पिता बचपन में ही चल बसे हैं।
दोनों भाई एक-दूसरे की ज़िंदगी है,पर लक्ष्मण को बातें देर से समझ पड़ती है तो लोग उसे ‘ट्यूबलाइट’ चिढ़ाते हैं।
एक बार लक्ष्मण के स्कूल में गांधी जी आते हैं और लक्ष्मण के दिलो-दिमाग पर सत्य,अहिंसा की अमिट छाप छूट जाती है।
इधर भरत की नौकरी सेना में लग जाती है और उसे इंडो-चायना 1962 के युद्ध में जाना पड़ता है। वह वापस नहीं आता है !तो अटूट विश्वास के साथ लक्ष्मण उसे वापस लेने जाता है।
इस फिल्म में बन्नू चाचा (ओम पुरी ) को देखकर सुखद एहसास होता है,निसन्देह वह एक बड़े अभिनेता थे | कहानी में मतीन डे टँगू छोटे बच्चे और उसकी माँ ज़ु ज़ू का अभिनय सहज और स्वभाविक है। जीशान अय्यूबी,यशपाल भी खूब काम कर गए,लेकिन  निर्देशक कबीर कुछ जगहों पर गच्चा खा गए,
जैसे फ़िल्म १९६२ के काल में नहीं पहुँच पाती है। ऐसे ही दृश्य स्थल,एक ही एक जगह पर सब घटित होना भी हजम नहीं होता है। दूसरी ओर बड़ी वजह
पटकथा ओर कहानी में झोल है। कहानी लिखी है नीलेश मिश्र ओर कबीर खान ने तो पटकथा लिखी है पार्किज सैबिल, सन्दीप श्रीवास्तव,नीलेश मिश्र और कबीर खान ने। फ़िल्म के पहले आधे भाग में सलमान छोटे बच्चे की तरह दिखते हैं,और दूसरे भाग में बिंदास हैं।
यह अचानक बदलाव हजम नहीं होता है। फ़िल्म का अंत सोचा-समझा ही रखा गया है,यानि कुछ भी नया नहीं है। यह फिल्म ‘लिटिल बॉय’ से प्रेरित है,पर वहां तक पहुँची नहीं है। वैसे ‘लिटिल बॉय’ भी कोई बड़ी कामयाबी नहीं है।
खैर,फ़िल्म में संजीदा सीन है पर यह पकड़ नहीं बनाते हैं,कई बार फ़िल्म हाथ से निकल गई लगती है।!
संगीत प्रीतम का है,जिसमें  ‘तिनका-तिनका’ प्रसिद्ध हो चुका है। कुल मिलाकर ‘ट्यूबलाइट’ फ़िल्म सलमान की पिछली 11 फिल्मों में सबसे कमजोर फ़िल्म है। 5500 पर्दों पर भारत में और 1200 पर विदेशों में यहाँ प्रदर्शित की गई है,यही सुखद लग सकता है,लेकिन इस बार
सलमान,कबीर और ईद का महापैक भी
कुछ मज़ा नही दे पाया है।

                                                                           #इदरीस खत्री

परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।