तन्हा जीवन

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dashrathdas

यह जीवन बड़ा अलबेला है,अपनों का यहाँ झमेला हैl
यहाँ नित काफिले सजते हैं,आदमी फिर भी अकेला हैll
इस धरती पर जब तू आया,देखा तन्हा तू रोया हैl
भाँति-भाँति के रिश्ते बना,अजब-सा खेल खेला हैll
यह जीवन बड़ा………..l

 

जिसने भी तुझको जन्म दिया,पाल-पोसकर बड़ा कियाl
जब बुढ़ापा आया उन पर,फिर काहे तन्हा छोड़ दियाll
हाथ पकड़कर ढूँढ लिया साथी,

तू कितना मन का मैला हैll

यह जीवन बड़ा…………l

 

संग जिसके शादी रचाई,हँसी-ख़ुशी के सपने देखे।
धन की जब आई कठिनाई,परदेशी बना बिस्तर ले केll
छल-कपट से ही धन कमाया,

हाथ लगा न तेरे  ढेला हैll
यह जीवन बड़ा……….l

 

चलने की जब बारी आई,जेब टटोला सबने मिलकरl
संगी-साथी मरघट तक आए,तन्हा `दशरथ` अब जाना चलकरll
घर आए पकवान बनाए,

तेरहवाँ मना रंगीला हैll
यह जीवन बड़ा……….ll

             #दशरथदास बैरागी

matruadmin

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