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माँ तेरे आँचल में वो क्या जादू है,
धूप में छाया ये कैसे देता है।
ठण्ड से जब भी हुआ वेकाबू मैं,
गर्मी ये मखमल-सी कैसे देता है।
जी करता है लिपटकर जानूं तो,
खुशबू ये आँचल की कैसे देता है।
माँ तेरा आँचल है कल्प वृक्ष-सा,
शीतल हवा,वो छाँव कैसे देता है।
रोता हूँ जब भी मैं किसी दर्द में,
आँचल ही आँसू पोंछ कैसे देता है।
#महेन्द्रसिंह रघुवंशी
परिचय : आपको लेखन कार्य-कविताओं से बहुत प्रेम हैl गांव में जन्मे महेन्द्रसिंह रघुवंशी की प्राथमिक शिक्षा गाँव से ही हुई है,जबकि बीए और एमए छिन्दवाड़ा से किया हैl हिन्दी लेखन में बचपन से ही रुचि रखने वाले महेन्द्र सिंह के पिताजी भी कविताएं रचते हैंl आपकी कविताओं का आकाशवाणी छिन्दवाड़ा से प्रसारण होता रहता हैl काव्य पाठ में कई प्रथम पुरस्कार भी मिले हैं। २०१५ में कलेक्टर के हाथों भी काब्यपाठ में प्रथम पुरस्कार एबं प्रमाण-पत्र भी पाया है। पिंडरई कलां गाँव के निवासी श्री ठाकुर वर्तमान में छिंदवाड़ा में ही फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स की कंपनी में क्रिस्टल इंचार्ज पद पर कार्यरत हैंl
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