ढूंढ लाता हूँ शब्द,
पिरोता हूँ
लड़ी में
मोती जैसे।
पूछते हैं वो,
कहां से ले आए
इतने सहेजकर
कैसे बताऊं..
उनको
ढूंढना पड़ता है।
सीपियों को
गहरे समंदर से,
आजकल
अच्छी सीपियाँ
बमुश्किल मिलती हैं।
वरना मोतियों की,
अच्छी किस्म की
कमी नहीं होती।
#अरुण कुमार जैन
परिचय: सरकारी अधिकारी भी अच्छे रचनाकार होते हैं,यह बात
अरुण कुमार जैन के लिए सही है।इंदौर में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में लम्बे समय से कार्यरत श्री जैन कई कवि सम्मेलन में काव्य पाठ कर चुके हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त सहायक आयुक्त श्री जैन का निवास इंदौर में ही है।
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Thu Jun 22 , 2017
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