
स्टॉकहोम। स्वीडिश एकेडमी की नोबेल समिति ने लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई को उनके उपन्यास साहित्य के लिए 2025 का नोबेल पुरस्कार दिया। मेडिसिन, फ़िज़िक्स और केमिस्ट्री के बाद इस सप्ताह घोषित होने वाला यह चौथा नोबेल पुरस्कार है, जिसे साहित्य के क्षेत्र में दिया गया है।
स्वीडिश एकेडमी ने उन्हें सम्मानित करते हुए कहा कि यह पुरस्कार ‘उनके प्रभावशाली और विज़नरी लेखन के लिए दिया गया है, जो विनाश और भय के बीच कला की ताक़त को जीवित रखता है।’ क्रास्ज़्नाहोरकाई आधुनिक यूरोपीय साहित्य की उन दुर्लभ आवाज़ों में से एक हैं, जिन्होंने निराशा और कयामत के बीच उम्मीद की भाषा गढ़ी। उनका लेखन अक्सर मानवता के अंत और नैतिक पतन की स्थितियों से जूझता है, लेकिन हर बार कला को एक पुनर्जन्म की तरह प्रस्तुत करता है।
1954 में जन्मे लास्लो ने 1985 में अपने उपन्यास स्टांटैंगो से साहित्य जगत में सनसनी मचा दी थी। यह एक पोस्टमॉडर्न क्लासिक मानी जाती है, जो दुनिया के अंत की प्रतीकात्मक कहानी कहती है। इस पर आधारित फ़िल्म 1994 में बनी। सात घंटे लंबी, ब्लैक-एंड-व्हाइट सिनेमा की एक कल्ट मास्टरपीस, जिसे हंगरी के डायरेक्टर बेला तार ने निर्देशित किया था।
पिछले साल साहित्य का नोबेल पुरस्कार साउथ कोरिया की लेखिका हान कांग को दिया गया था। उनके बारे में समिति ने कहा था कि हान कांग का साहित्यिक काम “ऐतिहासिक आघातों का सामना करता है और मानव जीवन की नाज़ुकता को उजागर करता है।”
इस नोबेल समिति ने इससे पहले कुल 121 विजेताओं को 117 बार साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया है।

