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(लय :-तेरे चेहरे से नजर नहीँ हटती नजारे हम क्या देखें)
प्यारे भारत ,प्यारे भारत ,तुझपे मैं कुरबां कुर्बानी कोई क्या देखे ।
मेरे दिल पे ये तेरे ही निशां निशानी कोई क्या देखे ।
धरती पे तेरी ये मुल्क समाया है ,सारी ही दुनियां में हमको ये भाया है ।
और दुनियां की क्या है कहानी ,कहानी कोई क्या देखे।
प्यारे भारत तुझपे मैं कुरबां क़ुरबानी कोई क्या देखे ।
तेरे जवानों के मस्ती है खून में ,तेरे लिए वो दे दे जां ये जुनून में ।
तेरी सीमा पे दुश्मन क्या देखे,दुश्मनी कोई क्या देखे।
प्यारे भारत तुझपे मैं कुरबां ,क़ुरबानी कोई क्या देखे।
जादू है तेरे इक अंग कश्मीर में ,स्वर्ग इसे कहते है दुनियां के शरीर में ।
दुनियां तेरी है सारी दीवानी ,दीवानी कोई क्या देखे।
प्यारे भारत तुझपे मैं कुरबां ,क़ुरबानी कोई क्या देखे।
सातों समुद्रों में इक सागर हिन्द है ,सारे सागरों की इससे ही जिन्द है ।
सातों सागरों की इसमें रवानी ,रवानी कोई क्या देखे।
प्यारे भारत तुझपे मैं कुरबां, क़ुरबानी कोई क्या देखे।
जगत गुरु है तू दुनियां की नजर में ,तीनों ही लोकों में फैली ये खबर है ।
जागे फिर से वो तेरी जवानी,जवानी कोई क्या देखे ।
प्यारे भारत ,प्यारे भारत ,तुझपे मैं कुरबां कुर्बानी कोई क्या देखे ।
मेरे दिल पे ये तेरे ही निशां निशानी कोई क्या देखे ।
#दुर्गेश कुमार
परिचय: दुर्गेश कुमार मेघवाल का निवास राजस्थान के बूंदी शहर में है।आपकी जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी है। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा ली है और कार्यक्षेत्र भी शिक्षा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। विधा-काव्य है और इसके ज़रिए सोशल मीडिया पर बने हुए हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी की सेवा ,मन की सन्तुष्टि ,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है।
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