अपना देश भी कितना अजीब है,
हर कोई इन्सानियत का रकीब है।
बेटे और बेटियों की बोली लगती है,
कलम चलाने वालों पर गोली चलती है।
कभी कोई पत्रकार बेचारा जाता है,
कभी कोई साहित्यकार मारा जाता है।
दर्जनों के हत्यारे को जमानत मिलती है,
सत्य-वक्ता को यहाँ जेल मिलती है।
साधुगण जहाँ आपस में ही लड़ते हैं,
देश के नेता,संसद में भी झगड़ते हैं।
बिल्ले का मित्र कब खरगोश हो पाएगा,
देश हमारा फिर कब ‘निर्दोष` हो पाएगा।
डॉ.गोपाल प्रसादनिर्दोष
परिचय : डॉ.गोपाल प्रसाद रचनाकार के तौर पर`निर्दोष` नाम से पहचाने जाते हैं। आप बिहार के माल गोदाम( जिला नवादा) में रहते हैं। आपका जन्म १९७१ का है। प्रारम्भिक शिक्षा के बाद एम.ए.,पी-एच.डी.,बी.एड. किया है।लेखन,अध्यापन,चित्रकर्म एवं रंगकर्म से भी जुड़े हुए हैं। आपकी कृति-जयनंदन:‘व्यक्तित्व एवं कृतित्व(आलोचना)` है,तो कुछ हिन्दी पत्रिकाओं केसंपादक भी हैं। रचनाएं अनेक पत्र-पत्रिकाओं एवं संकलनों में प्रकाशित हैं।कहानियाँ,कविताएँ,गीत,ग़ज़ल,एकांकी,लेख,रिपोर्ताज,रेखाचित्र आदि आप रचते हैं।